January 21, 2025

कानपुर। जिन लेखपालों के कार्यों के चलते आज सभी को सत्यापित का प्रमाण पत्र मिल जाता है उन्ही के कार्यो में अब इतनी हीला हवाली देखने को मिल रही है कि विश्वास करना किसी दुस्वप्न  से अधिक नही है। उसकी एक बानगी आसरा आवास आवंटन के पात्रों के सत्यापन में भी दिखाई दे रही है। लेखपालों ने आवेदक के घर जाए बगैर बैठे-बैठे सत्यापन रिपोर्ट बना दी। नतीजन कई ऐसे पात्रों को आवास का आवंटन हो गया  जिनकी मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। वहीं कई ऐसे लोग भी लाभार्थी बन गए, जिनके अपने पक्के मकान भी बने हुए हैं।घाटमपुर नगर पालिका क्षेत्र में जहानाबाद रोड पर 840 आसरा आवासों का निर्माण डूडा द्वारा कराया गया है। यह आवास गरीबी रेखा के नीचे वाले ऐसे लोगों को आवंटित होने हैं जिनके पास रहने के लिए छत नहीं है। इसके लिए लोगों द्वारा किए गए आवेदनों का एक बार तहसील लेखपालों से कराया गया। जिसमें 677 लोग पात्र पाए गए।फिर दूसरा सत्यापन पालिका ने कराया तो इनकी संख्या 493 बची। बाद में तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पालिका ईओ की देखरेख में लेखपालों से तीसरा सत्यापन कराया गया। इसके बाद निकले 273 पात्रों को बुधवार के दिन तहसील में कार्यक्रम कर लॉटरी के माध्यम से आवास आवंटित कर दिए गए।जिन 273 लोगों को आवास आवंटित हुए, उनमें कई ऐसे लोग हैं जिनकी मृत्यु पहले ही हो चुकी है। इनमें एक पात्र निमाजन पत्नी गुलाम रसूल निवासी जवाहर नगर पश्चिमी की डेढ़ साल पहले मौत हो चुकी है। वहीं दूसरे पात्र अनिल कुमार पुत्र प्रेम शंकर निवासी कृष्णा नगर की 25 दिन पहले ही दुनिया छोड़ चुके हैं।अब सवाल उठता है कि आवंटन कार्यक्रम के एक हफ्ते पहले शुरू हुए तीसरे सत्यापन में लेखपालों ने ऐसे लोगों को कैसे आवास आवंटित कर दिए। इससे स्पष्ट है कि इन जिम्मेदारों ने बिना जाए ही मनमाने ढंग से सत्यापन कर इतिश्री कर ली है। इसी तरह कई पात्र ऐसे भी हैं जिनके पक्के मकान भी बने हुए हैं।घाटमपुर एसडीएम यादुवेंद्र सिंह वैश्य ने बताया कि अगर आसरा आवास के आवेदन कर्ता की मौत हो गई है और आवास का आवंटन हो गया है। तो जांच कराकर उस घर में जो मुखिया होगा, उसके नाम आवंटन किया जाएगा। वहीं सत्यापन में जिसने गलती की है, उसकी भी जांच करवाकर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।