May 23, 2025

आ स. संवाददाता
कानपुर। उत्‍तर प्रदेश क्रिकेट संघ में व्‍याप्‍त भ्र्रष्‍टाचार और राज्‍य के खिलाडियों की समस्‍याओं को दूर करवाने को लेकर क्रिकेट प्लेयर एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़  के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर तत्‍काल प्रभाव से उसके निवारण की मांग उठायी है।बुधवार को , क्रिकेट प्लेयर एसोसिएशन के सदस्‍यों जिसमें महिलाओं की संख्‍या भी बहुतायत रही उन्‍होंने रजिस्‍ट्रार ऑफ कम्‍पनीज के अधिकारी  से औपचारिक भेंट की और उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों से जुड़ी गंभीर समस्याओं से उन्हें अवगत कराया। प्रदेश अध्यक्ष अरविंद सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन प्राइवेट लिमिटेड को वर्ष 2005 में सोसाइटी चिटफंड द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया था। इसके उपरांत उक्त संस्था ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़, कानपुर को भ्रामक जानकारी देकर गलत तरीके से मान्यता प्राप्त की, जो कि अपराध की श्रेणी में आता है।

उन्होंने कहा कि उक्त्त संस्था ने राज्य सरकार से नाम उपयोग की पूर्व अनुमति नहीं ली, जो स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है।आरओसी से मांग की गई कि या तो इस संस्था की मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द की जाए या उसके नाम से “उत्तर प्रदेश” शब्द को हटाया जाए। संस्‍था के प्रदेश सचिव  प्रदीप पांडे और  शिवबचन यादव ने बताया कि वर्तमान में संस्था में 70 वर्ष से अधिक आयु के 6 निदेशक कार्यरत हैं, जो माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कोई भी पदाधिकारी अधिकतम 9 वर्षों तक ही कार्य कर सकता है। यही नही संस्‍था की महिला पदाधिकारियों में प्राची पांडे और दिव्या सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं, परंतु उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन प्राइवेट लिमिटेड ने केवल 40 जिलों को ही मान्यता प्रदान की है, शेष 35 जिले इस प्रक्रिया से बाहर हैं, जो न्यायिक आदेशों का सीधा उल्लंघन है। एम.पी. सिंह ने बताया कि एमसीए, नई दिल्ली द्वारा नियुक्त एक जांच समिति ने संस्था में लगभग 700 करोड़ रुपए के संभावित घोटाले की आशंका जताई है, जो अत्यंत गंभीर विषय है। बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ द्वारा जांच प्रक्रिया प्रारंभ की गई है, परंतु अब तक कोई निश्चित समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है।संस्था पर चयन प्रक्रिया में व्यापक भ्रष्टाचार के भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इससे राज्य के युवा खिलाड़ियों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ हो रहा है।क्रिकेट प्लेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश ने मांग की है कि 15 दिनों के भीतर इस पूरे प्रकरण की जांच पूर्ण कर संस्था की मान्यता रद्द की जाए, ताकि उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों के उज्जवल भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।

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