
आ स. संवाददाता
कानपुर। पढ़ाई का नया सेशन शुरू हो चुका है। हर साल की तरह इस साल भी स्कूलों की मोनोपोली अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रही है।
बाजार में कॉपी के जो रेट है उनमें लगातार दूसरी साल भी गिरावट आई है, लेकिन स्कूलों में देखा जाए तो इसमें कोई गिरावट नहीं आई है।
किताबों के व्यापारियों ने दावा किया है कि यदि स्कूलों की मोनोपोली को खत्म कर दिया जाए तो मात्र एक हजार रुपए के अंदर बैग भर जाएगा। कोरोना काल के बाद से कॉपी के रेट लगातार कम ही हो रहे हैं।
सागर आर्ट्स, परेड के स्वामी अमीदुर्र रहमान ने बताया कि इस बार कॉपी के रेट में करीब 10 से 12 रुपए की गिरावट आई है। हालांकि कुछ कंपनियां ऐसी भी है जिन्होंने रेट में कमी नहीं की है। मगर अन्य की बात की जाए तो सभी में रेट कम हुए हैं।
शोभित कॉपी हाउस के सागर कश्यप ने बताया कि कोरोना काल में बाहर से कच्चा माल और कागज नहीं आ रहा था। उस दौरान कॉपी और रजिस्टर दोनों महंगे हो गए थे, लेकिन अब काफी गिरावट आई है। लगातार दूसरी बार कॉपी के रेट गिरे है। पहले जो कॉपी 130 रूपये किलो में बिक रही थी वो पिछली साल 120 रुपए किलो बिकी है। इस साल वही कॉपी 110 रुपए किलो में बिक रही है। किताबों की बात करे तो कुछ प्रतिशत की बढ़ोतरी उनमें हुई है।
कृपा बुक हाउस के सचिन निगम ने बताया कि किताबों में करीब 10 प्रतिशत रेट बढे हैं। कॉपी में 7 से 8 प्रतिशत रेट कम किए गए है। कंपनियों की जो कॉपियां है उनमें भी रेट कम किए गए है।
बीना रजिस्टर कंपनी के राहुल ने बताया कि स्कूली किताबों में कमीशन की बहुत मारामारी है। इस लिए वहां पर रेट हमेशा ज्यादा रहते है। अगर हम रजिस्टर की बात करे तो उसमें भी 20 से 25 रुपए इस साल कम हुए हैं। ओपन मार्केट में एनसीईआरटी की किताबें बहुत ज्यादा 1 हजार से 15 सौ रुपए के बीच में आ जाती है। अगर स्कूलों की शर्तें न हो, तो अभिभावकों का बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा।
व्यापारियों के मुताबिक रफ रजिस्टर की कीमत मार्केट में 110 रुपए किलो चल रही है। फेयर रजिस्टर भी 120 से 130 रुपए किलो है।
कानपुर के जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने स्कूलों को सख्त हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों की शिकायतों का निस्तारण 15 दिनों के अंदर होना चाहिए। इसके अलावा जो भी कॉपी किताबें दी जाएगी, उनकी रसीद अभिभावकों को जरूर दें। स्कूल की जो भी फीस हो उसे स्कूल की वेबसाइड पर अपलोड करें।