आ स. संवाददाता
कानपुर। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी से दिनोंदिन सर्दी में इजाफा हो रहा है और लोग परेशान हो रहे हैं। खासकर बुजुर्ग व हृदय रोगियों के लिए यह सर्दी किसी भी सूरत में लाभप्रद नहीं है। ऐसे में हृदय रोगियों की जो दवा चल रही है उसमें कतई परहेज न करें। इसके साथ ही आमजन भी अपने साथ सदैव डिस्प्रिन की टैबलेट जरुर लेकर चलें। डिस्प्रिन के सेवन से संभावित हार्ट के खतरे को कुछ देर के लिए टाला जा सकता है और फौरन एंबुलेंस की मदद से ऐसे पीड़ित अस्पताल पहुंचकर कार्डियक डाक्टर से चिकित्सीय सलाह लें। यह बातें बुधवार को कार्डियोलॉजी के निदेशक व वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डा. राकेश वर्मा ने कही। उत्तर भारत में ठंड ने दस्तक दे दी है। ऐसे में सुबह और शाम के समय न्यूनतम तापमान में गिरावट आने की वजह से ठंड में काफी इजाफा हो जाता है। इससे दिल की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को काफी समस्या होने लगती है। ज्यादा ठंड बढ़ने से मरीज व आम लोगों के शरीर में खून का थक्का जमने लगता है। जिस वजह से रक्तचाप सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है। यदि समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए तो कभी-कभी यह हार्ट अटैक के रूप में जानलेवा भी साबित हो सकता है। इस सर्द भरे मौसम में खुद का ध्यान कैसे रखें इस विषय पर कानपुर के हृदय रोग संस्थान के निदेशक डा. राकेश वर्मा के द्वारा बताए गए टिप्स को अपनाएंगे तो काफी हद तक इससे बचा जा सकता है। कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ राकेश वर्मा के मुताबिक बदलते हुए लाइफस्टाइल और इस भाग दौड़ भरे जीवन में लोग खुद का ख्याल नहीं रख पाते हैं। इन्ही वजहों से कभी कभी लोग गंभीर बीमारियों का शिकार भी बन जाते है। मौजूदा समय में दिल से जुड़ी बीमारियों के लक्षण बुजुर्गों के बजाय युवाओं में भी ज्यादा देखने को मिल रहा है। ऐसे में हृदय रोग से पीड़ित मरीज को विशेष तौर पर अपना ख्याल रखने की आवश्यकता है। इस ठंड से बचने के लिए सुबह और शाम के समय घर से बाहर न निकले साथ ही जितना हो सके गर्म कपड़े पहने, कान और गले को हमेशा बंद रखें, क्योंकि सबसे ज्यादा सर्दी यहीं से प्रवेश करती है। आगे बताया कि हृदय रोग से पीड़ित मरीज को अपने खान-पान पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। सर्दी के समय में मरीज को ठंडा या साधारण पानी पीने से बचना चाहिये। इसकी जगह पर उन्हे पानी को उबालकर पीना चाहिए। साथ ही खाने में ठंडी चीजे जैसे दूध, दही, कोल्ड्रिंक से भी दूर रहना चाहिये। वहीं धूम्रपान और शराब के सेवन से भी दूरी बनाने की आवश्यकता है। साथ ही योगा करने से भी काफी लाभ मिलता है। इसके अलावा डॉक्टर द्वारा हार्ट की आशंका बताए जाने पर समय समय पर कॉर्डियोलॉजिस्ट से परामर्श लेते रहना चाहिए ताकि शरीर मे हो रहे बदलाव को डाक्टर समय रहते पकड़ सके। इस मौसम में सबसे बड़ी दवा सावधानी और परहेज ही है। यदि ह्रदय रोग से पीड़ित मरीज की दवा चल रही है तो उसे नियमित रूप से दवा का सेवन करते रहना चाहिए। आगे उन्होंने बताया कि, यदि किसी भी समय अत्यधिक ठंड लग जाने के कारण रक्तचाप की समस्या बढ़ जाये (सर्दी में अचानक गर्मी लगने के साथ साथ पसीना आना, चक्कर आना या जी घबराना) तो ऐसे में तुरंत एक टेबलेट डिस्प्रिन को चबाकर पानी पीकर जितनी जल्दी ही सके हॉस्पिटल पहुँचे। उन्होंने बताया कि शोध में यह पाया गया है कि डिस्प्रिन टैबलेट में मिलने वाले सॉल्ट हार्ट में प्रयोग की जाने वाली दवाइयों के सॉल्ट में कुछ समानता होती है। इसका सेवन करने से घबराहट और हार्ट अटैक को काफी हद तक रोका जा सकता है, लेकिन यह स्थाई नहीं है और इसका असर कुछ ही देर तक रहता है। ऐसे में एंबुलेंस की मदद से पीड़ित को तत्काल हृदय विशेषज्ञ के पास पहुंचना चाहिये। यानी आम भाषा में कहा जाए तो एक डिस्प्रिन और समझदारी से फौरन अस्पताल पहुंचने से हार्ट अटैक रोगी की जान बचाई जा सकती है। इसलिए सर्दी के मौसम में आमजन को अपने साथ सदैव डिस्प्रिन रखने की सलाह दी जाती है।