January 13, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के स्कूल आफ हेल्थ साइंसेस के अंतर्गत संचालित स्वास्थ्य केन्द्र, राजकीय बाल गृह कानपुर में स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम संपन्न हुआ, जिसमें लगभग 90 बच्चों ने भाग लिया। कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले इन बच्चों का निःशुल्क स्वर्णप्राशन कराया गया। 

इस स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम का शुभारम्भ वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डा.वंदना पाठक, निदेशक डा. दिग्विजय शर्मा, डा.राम किशोर, अनुराग मिश्रा, पंकज कुमार आदि ने दीप प्रज्वलन व धन्वन्तरि पूजन के साथ किया।

इस अवसर पर वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डा.वंदना पाठक ने उपस्थित अभिभावकों और लोगों को हेमंत ऋतु के अनुसार आहार-विहार और रोगों से बचाव पर विशेष रूप से परामर्श दिया। उन्होंने कहा इस समय ठंड के कारण शरीर की गर्मी शरीर से बाहर नहीं निकलती, जिसके परिणामस्वरूप शरीर की अग्नि प्रखर हो जाती है अतः इस मौसम में भारी आहार जैसे-घी, तेल से बने पदार्थ, गुड़ और मौसम के अनुसार फल और सब्जियाँ पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिये। भूख लगने पर भोजन न करने से विभिन्न रोग हो सकते हैं। 

स्वर्णप्राशन संस्कार के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की यह विधा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है। उन्होने इस संस्कार की महत्ता बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रचलित 16 संस्कारों में से यह एक प्रमुख संस्कार है। यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास में विशेष योगदान प्रदान  करता है। जिन बच्चों का यह संस्कार नियमित रूप से  होता है, उनमें मौसम और वातावरणीय प्रभाव के कारण होने वाली समस्याएं अन्य बच्चों की अपेक्षा कम देखी गयी हैं।

स्वर्णप्राशन में प्रयुक्त होने वाली औषधि स्वर्ण भस्म, वच, गिलोय, ब्राह्मी, गौघृत, मधु आदि द्रव्यों के सम्मिश्रण से बनाया जाता है। उन्होंने कहा बच्चों को नियंत्रित करने के लिए डांटना, पीटना आदि भी उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है। अतः बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए। उन्होंने बच्चों को मौसम के अनुसार फल और सब्जियों के सेवन के साथ-साथ स्वच्छता स्नेहपूर्ण लालन पालन पर विशेष बल दिया।