December 3, 2024

— गोल्डी, अशोक जैसी कंपनियों को मार्केट से कुंटलो मसाले मंगाना पड़ा वापस

आ.स.संवाददाता 

कानपुर। दीपावली से पूर्व औषधि और प्रसाधन विभाग द्वारा की गई एक बड़ी कार्यवाही में भरे गए खाद्य पदार्थों की जांच रिपोर्ट पर प्रमुख सब्जी मसाले के चर्चित अशोक, गोल्डी समेत मसालों के नमूनों की जांच कीटनाशक मिले थे। जिससे प्रशासन के कड़े रुख के चलते कंपनियों ने इन मसालों को मार्केट से वापस मांगना शुरू कर दिया है।अलग अलग कंपनियों ने करीब 600.60 किलो मसाला मार्केट से वापस लिया है। इन मसालों को नष्ट करने का प्रोसेस किया जा सकता है। सहायक खाद्य आयुक्त द्वितीय संजय प्रताप सिंह ने बताया कि कई मसाला कंपनियों से अलग अलग नमूने लिए गए थे। लैब में नमूनों की जांच में इनमें कीटनाशक होने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद संबंधित कंपनियों को नोटिस भेजी गई। अब कई कंपनियों को फेल हुए मसालों को मार्केट से मजबूरी में वापस मंगवाना पड़ रहा है। मई में खाद्य एवं औषधि विभाग की टीम ने विभिन्न मसालों के 33 सैंपल लिए थे, लैब में की गई जांच में 23 नमूने अनसेफ यानि उपयोग योग्य नहीं पाए गए। गोल्डी और अशोक जैसी कंपनियों के यह मसाले खाए जाने लायक नहीं है। इनमें कीटनाशक, दुषित पदार्थ और हानिकारक संदूषक पाए गए। इन मसालों में जो माइक्रोबायोलॉजिकल कीटनाशक मिले उनसे शरीर के कई ऑर्गन डैमेज हो सकते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। नमूने फेल होने के बाद अब कंपनियां अधिक मसालों को मार्केट से वापस मंगाने का काम कर रही है।

– जांच में क्या मिला

कीटनाशक वह रसायन होते हैं जिनका उपयोग कीड़ों को मारने के लिए किया जाता है। क्लोरपाइरीफोस मिला, यह एक ऑर्गनोफॉस्फेट कीटनाशक है जिसका उपयोग फसलों, जानवरों और इमारतों और अन्य सेटिंग्स में, कीड़ों और कीड़ों सहित कई कीटों को मारने के लिए किया जाता है। एंटरोबैक्टीरियासी रोगजनक बैक्टीरिया (बीमारी पैदा करने वाले एजेंट) एथियोन मिला, एक ऑर्गनोफॉस्फेट कीटनाशक है एंटरोबैक्टीरियासी रोगजनक बैक्टीरिया

इन मसालों का उपयोग करने से कैंसर, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और एलर्जी हो सकती है।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलाजी विभागाध्यक्ष डॉक्टर सुरैया खानम अंसारी ने बताया कि मसालों में कीटनाशक तत्व मिलना काफी चिंता का विषय है। लगातार ऐसे मसालों के प्रयोग से शरीर के कई अंग खराब हो सकते हैं। यह कीटनाशक किडनी, लीवर, आंतों समेत कई प्रमुख अंगों को खराब कर सकता है। वहीं लंबे समय तक इस्तेमाल से कैंसर, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और एलर्जी भी होती है।