May 1, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर।
डीएम ने गणतंत्र दिवस पर अनोखी पहल की है। उन्होंने ऑटो ड्राइवर को समारोह का चीफ गेस्ट बनाया और उसे अपने बगल में बैठाया। फिर ऑटो चालक ने जिलाधिकारी के साथ कलेक्ट्रेट में तिरंगा फहराया।
ऑटो ड्राइवर राकेश सोनी को चीफ गेस्ट बनाने के पीछे की मुख्य वजह है, कि उसको एक कॉन्स्टेबल ने पीट दिया था। जिससे परेशान होकर राकेश ने जिलाधिकारी से इच्छा मृत्यु मांगी थी। इसके बाद डीएम ने ऑटो ड्राइवर को गणतंत्र दिवस पर बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित किया था।
डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने ऑटो ड्राइवर को अपने बगल की कुर्सी में बैठाया और उनसे काफी देर तक बातचीत की। डीएम के साथ ऑटो ड्राइवर राकेश सोनी ने शपथ ली। इसके बाद डीएम और ऑटो ड्राइवर ने साथ में तिरंगा फहराया और सैल्यूट किया।
राकेश सोनी बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने ने बताया कि डीएम साहब ने इतना बड़ा सम्मान दे दिया कि मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता। मेरे परिवार को यकीन नहीं हो रहा है। 

इसके पीछे की कहानी यह है कि 30 दिसंबर को मैं ऑटो लेकर नौबस्ता से बारादेवी की तरफ जा रहा था। चौराहे के पास मेरे ऑटो में कुछ सवारियां बैठ रही थीं। इसी बीच, पीछे से एक ट्रैफिक पुलिस कर्मी ने मेरे ऑटो पर डंडा मारा, फिर ऑटो का पर्दा फाड़ने लगा। मैंने हाथ जोड़कर कहा कि साहब…गरीब आदमी हूं। आप डेढ़ से दो हजार का नुकसान कर दे रहे हैं। कहां से भर पाऊंगा। इसके बाद वह और ज्यादा गुस्सा हो गए। प्लास्टिक का डंडा मेरे मुंह में घुसाने लगे और कहा कि तुम्हें एक मिनट में सीधा कर दूंगा। उनकी इस हरकत से मैं बहुत परेशान हो गया।
राकेश ने कहा कि 31 दिसंबर को मैं शिकायत लेकर पुलिस के पास गया। प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन जांच नहीं हुई। इसके बाद ट्रैफिक कॉन्स्टेबल ने दोबारा मुझे धमकाया कि अब देखता हूं कि तुम ऑटो कैसे चलाते हो। उसने मेरी गाड़ी की फोटो भी खीचीं।
पुलिस में सुनवाई नहीं होने पर मैंने डीएम साहब से शिकायत की। पहले जिनसे शिकायत की थी, उनका ट्रांसफर हो गया और नए डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह आ गए । जब मुझे पता चला कि वह गरीब बच्चों की स्कूल फीस अपनी जेब से भर रहे हैं। तब मुझे लगा कि ये गरीब लोगों की मदद करेंगे। मैंने एक बार फिर उनसे मिलकर शिकायत की।
राकेश ने बताया कि अपमान से आहत था, इसलिए इच्छा मृत्यु मांगी थी, लेकिन अब वो कैंसिल कर दिया। डीएम ने कहा था कि तुम्हारा अपमान हुआ है न…ठीक है, मैं तुम्हें सम्मानित करवाऊंगा। तुम गणतंत्र दिवस के दिन कलेक्ट्रेट आना। वहां चीफ गेस्ट बनोगे।
यह सब सुनकर मुझे लगा कि अधिकारी हैं, कह रहे हैं, मगर ऐसा होगा नहीं। मगर शाम को एक अधिकारी निमंत्रण पत्र लेकर मेरे घर आ गए। मुझे लिखित न्योता देकर गए। तब लगा वह तो सच कह रहे थे। इतना बड़ा सम्मान दिया कि मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे जैसे साधारण व्यक्ति को डीएम साहब इतना सम्मान देंगे।