
आ स. संवाददाता
कानपुर। अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, कानपुर की ओर से शुक्रवार को मोतीझील के कारगिल पार्क में ऑटिज्म जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। इस रैली का उद्देश्य समाज में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार के प्रति आम जनमानस में जागरूकता बढ़ाना, इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना तथा माता-पिता को इसके प्रारंभिक लक्षणों की पहचान कर शीघ्र चिकित्सकीय परामर्श लेने के लिए प्रेरित करना था।
रैली का शुभारंभ डायरेक्टर जनरल मेडिकल एजुकेशन, उत्तर प्रदेश डॉ. वीएन त्रिपाठी एवं अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, कानपुर की अध्यक्ष डॉ. रोली श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर किया गया। इस अवसर पर डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि ऑटिज्म एक जटिल न्यूरो-डेवलपमेंटल स्थिति है।
चिकित्सकों ने कहा कि इसकी पहचान जीवन के पहले तीन वर्षों में हो सकती है। इसके लक्षणों की समय रहते पहचान और उचित इलाज के माध्यम से बच्चों की विकास यात्रा को बेहतर बनाया जा सकता है।
इस रैली में डॉ. सुनील तनेजा, डॉ. केके डोकानिया, डॉ. आरसी गुप्ता, डॉ. यशवंत राव, डॉ. राजेन्द्र नाथ, डॉ. गरिमा श्रीवास्तव, डॉ. अंशुमान सिंह एवं अकादमी के सचिव डॉ. अमितेश यादव सहित कानपुर के 54 वरिष्ठ एवं युवा बाल रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया।
सभी चिकित्सकों ने ऑटिज्म से जुड़े जागरूकता श्लोगनो की तख्तियां लेकर पूरे उत्साह और संकल्प के साथ रैली में सहभागिता की। रैली के दौरान उपस्थित चिकित्सकों एवं विशेषज्ञों ने आमजन से संवाद कर ऑटिज्म के प्रमुख लक्षणों जैसे- सामाजिक संपर्क में कठिनाई, आंखों से संपर्क न करना, दोहराव वाले व्यवहार, बोलने में विलंब आदि के बारे में जानकारी दी गई।
साथ ही यह स्पष्ट किया गया कि ऑटिज्म कोई मानसिक रोग नहीं, बल्कि एक मानसिक विकास से संबंधित विकार है, जिसमें समुचित मार्गदर्शन, परामर्श, विशेष शिक्षा, थेरैपी एवं अभिभावकों के सहयोग से बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा और समाज में सम्मानपूर्वक स्थान दिलाया जा सकता है।