December 3, 2024

कानपुर। विजयादशमी से पहले नगर में कई स्थानों पर रामलीला का मंचन किया जा रहा है। नगर की सर्वाधिक प्रसिद्ध परेड मैदान के रामलीला मंचन में धनुष भंग व लक्ष्मण-परशुराम संवाद की लीला का मंचन हुआ। 

राजा जनक बचपन में माता सीता को वह शिव धनुष उठाते हुए देख लेते है, जो किसी से भी हिलाए नहीं हिलता था।
जिसके बाद राजा जनक ने प्रतिज्ञा ली थी कि जो शिव धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसके साथ सीता का विवाह होगा। लीला मंचन में मिथिला नरेश ने भव्य स्वयंवर का आयोजन किया जिसमें शामिल अनेक राज्यों के धुरंधर राजा शिव धनुष को हिला तक नहीं सके। स्वयंवर में शामिल सभी राजाओं के विफल होने के बाद राजा जनक ने कहा कि लगता है कि संसार में ऐसा कोई शूरवीर पैदा ही नहीं हुआ जो हमारे इस स्वयंवर में शिव धनुष की प्रत्यँचा चढ़ाकर मेरी पुत्री को अपनी भार्या बना सके, जिस पर लक्ष्मण क्रोधित हो उठे।
श्री राम ने लक्ष्मण को इशारा करके उनको बैठने के लिए कहा । इसके बाद गुरू विश्वामित्र के आदेश के बाद प्रभु श्रीराम धनुष भंग करने के लिए पहुंचे तो स्वयंवर में शामिल राजा अट्टाहास करने लगे। भगवान राम ने गुरु को मन ही मन प्रणाम करते हुए शिव धनुष को प्रणाम किया और एक ही हाथ से धनुष को उठा कर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे, श्रीराम के प्रत्यंचा चढ़ाते ही धनुष दो टुकड़ों में बंट गया।
शिव धनुष टूटने की ध्वनि महेंद्र पर्वत पर तपस्या कर रहे भगवान परशुराम तक पहुंची तो वह क्रोधित होकर स्वयंवर में पहुंचे, जहां उन्होंने राजा जनक से अपना क्रोध व्यक्त किया। भगवान परशुराम की बातें सुन रहे लक्ष्मण क्रोधित हो उठे।
भगवान परशुराम ने क्रोधित होकर कहा कि मैं क्षत्रिय कुलनाशक बाल ब्रह्मचारी हूं, मैंने कई बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया है। लक्ष्मण बोले जो, वीर होते है वह बातें नहीं करते युद्ध करते है। वाद विवाद बढ़ने पर प्रभु राम ने लक्ष्मण को शांत कराया।
प्रभु श्री राम के वचन सुनते ही भगवान परशुराम ने विष्णु अवतार प्रभु राम को पहचान लिया। जिसके बाद मुस्कुराते हुए परशुराम ने भगवान राम को धनुष देते हुए  बाण चलाने को कहा। प्रभु श्रीराम ने पूरब दिशा में बाण चला कर भगवान परशुराम के अंहकार जनित क्रोध का नाश कर दिया।