December 3, 2024

संवाददाता।
कानपुर।
नगर में माघ मेले के पहले स्नान के लिए भले ही नालों और टेनरियों के दूषित पानी को गंगा में जाने से रोका गया हो, लेकिन इसके पहले नवंबर और दिसंबर दो महीने 10 नालों ने गंगा और सहायक नदी पांडु को बुरी तरह से प्रदूषित किया। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निरीक्षण में पाए तथ्यों के आधार पर नगर निगम पर कार्रवाई की है।नालों में बायोरेमिडिएशन (जैविक विधि द्वारा शोधन) न होने और नालों का दूषित पानी गंगा व पांडु नदी में जाने पर यूपीपीसीबी ने नगर निगम को 90 लाख रुपये का नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही कार्रवाई के लिए यूपीपीसीबी के पर्यावरण अधिकारी को संस्तुति की है। यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अमित मिश्रा ने बताया की नवंबर और जनवरी में किए गए साप्ताहिक निरीक्षण के दौरान गंगा नदी में गिर रहे नालों डब्का, सत्तीचौरार, गोलाघाट नाला और रानीघाट नाला के पानी का नमूना लिया गया था। जिसकी रिपोर्ट आई है। इसमें बहुत अशुद्धियां मिली हैं। इसके साथ ही निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नालों का बायोरेमिडिएशन कार्य भी नहीं हो रहा था। उन्होंने कहा कि दो महीनों के हिसाब से चार नालों पर पांच लाख के हिसाब से कुल 40 लाख रुपये का नोटिस कार्यदायी संस्था नगर निगम को जारी किया गया है। इसके साथ ही कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों को भी संस्तुति की गई है। अमित मिश्रा ने बताया कि पांडु नदी में गंदा नाला, अर्रा नाला, सागरपुरी नाला, पिपौरी नाला, पनकी थर्मल नाला और हलवा खांड़ा नाला गिर रहे हैं। जो पांडु नदी के साथ ही गंगा नदी को भी प्रदूषित कर रहे हैं। इन सभी नालों में बायोरेमिडियेशन होना चाहिए। नवंबर और दिसंबर में हुये निरीक्षण में पाया गया कि सभी नाले बिना बायोरेमिडियेशन कार्य के ही नदी में गिर रहे हैं। पानी के नमूने भी अनुकूल नहीं मिले। पर्यावरण क्षतिपूर्ति के तहत 5 लाख रुपये प्रति महीने के हिसाब से 50 लाख रुपये की नोटिस जारी की गई है। उन्होंने बताया कि पनकी थर्मल नाला और हलवा खांड़ा नाले द्वारा प्रदूषण फैलने पर सिर्फ एक माह का जुर्माना लगाया गया है। शहर के अलग-अलग जगहों में गंगा से मिलने वाले कुल 16 नाले हैं। जललिगम व नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार इनमें से 9 नालों को पूरी तरह से टैप्ड कर दिया गया है। जबकि दो आंशिक रूप से बंद है, वहीं पांच ऐसे नाले हैं, जो अभी भी अंटैप्ड हैं। अंटैप्ड नालों का पानी जैविक विधि से शोधन कर गंगा नदी में छोड़ा जाना है। लेकिन इस कार्य में भी लापरवाही बरती जा रही है। गंगा व पांडु नदी में शहर के नालों का गंदा पानी सीधे प्रवाहित करने पर पहले भी यूपीपीसीबी ने जुर्माना लगाया है। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वेक्षण कार्यालय के निरीक्षण में छह नालों (आईसीआई, पनकी थर्मल नाला, रतनपुर नाला, रानी घाट, बुढ़िया घाट, शीतला बाजार नाले) का गंदा पानी नदियों में जाता मिला था। नगर निगम पर कुल एक करोड़ 55 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। 

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