सैकड़ों वर्ष पुराने चर्चों में शामिल है अनोखी इंजीनियरिंग।
कानपुर। नगर में स्थित मैथाडिस्ट चर्च, क्राइस्ट चर्च सहित चर्चो की एक श्रृंखला है। जो कानपुर महानगर में अलग अलग क्षेत्रो में सैकड़ों सालों से स्थापित है। जिस प्रकार अंग्रजो ने देश मे मुम्बई को अपने व्यापार और अन्य गतिविधियों केलिए केंद्र बनाया था वही उत्तर प्रदेश में कानपुर को चुना था। तब से ही 25 दिसंबर की तैयारियों में एक माह पूर्व से ही चर्चों में सजावट शुरू हो जाती है जो 24 दिसंबर तक चलती है ।इस बीच ईसाई समुदाय के समृद्ध लोग गरीबों में उनकी दैनिक जरूरतों का सामान और इस पर्व से सम्बंधित आवश्यक सामग्री वितरण करते है इसके बाद 25 दिसंबर को ईशा मसीह का जन्मदिन चर्च में प्रार्थना के बाद मिलजुल कर मनाते है इन सैकड़ों साल पुराने चर्चो में कुछ में विशेष खासियत भी है। जिसमे एल एल जे एम मेथोडिस्ट चर्च के पादरी जे जे ओलिवर पिछले 21 वर्षों से इस प्राचीन चर्च की देख भाल कर रहे हैं। उनका कहना है 109 वर्ष पुराने इस चर्च में हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई गई एक अद्भुत तकनीक है। सी लेवल जिससे समुद्रतल से नगर की भूमि की ऊंचाई और गहराई मापने और उसका स्तर पता करने की विशेषता विद्धमान है, आज भी नगर निगम और कई सरकारी विभाग निर्माण करने से पहले आते हैं, जिससे उन्हे काफी सहायता मिलती है। यहाँ का सेंट्रल स्टेशन, रिंग रोड, के साथ अन्य कई सरकारी और प्राइवेट इमारतों का निर्माण चर्च के सी लेवल के आधार पर किया गया है। इसके साथ ही उनका उद्देश्य ईसाई समाज व अन्य समुदाय के गरीब लोगों की मदद करना हैं, उन्होंने ईसाई धर्म के इस प्रमुख त्योहार क्रिसमस की विशेषताएँ बताते हुए कहा क्रिसमस प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला एक त्यौहार है। ईसा मसीह की भविष्यवाणियों के मुताबिक, वह बेथलहम में पैदा हुए थे,जब यूसुफ और मरियम शहर में पहुंचे। तो सराय में कोई जगह नहीं थी और इसलिए उन्हें एक अस्तबल में जगह दिया गया, जहां जल्द ही क्राइस्ट चाइल्ड का जन्म हुआ। स्वर्गदूतों ने चरवाहों को इस खबर की घोषणा की, जिन्होंने तब ‘क्रिसमस’ शब्द का प्रसार किया। इसलिए लोग इस दिन गिरजाघरों में एकत्रित होकर प्रभु ईसा मसीह की आराधना करते हैं और यीशु की जन्म गाथा की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं। पश्चिमी देशों में ईसाईयों द्वारा यह बारह दिनों तक रहता है और बारहवीं रात को समाप्त होता है, अधिकांश ईसाइयों द्वारा क्रिसमस धार्मिक रूप से मनाया जाता है। साथ ही, सांस्कृतिक रूप से कई गैर-ईसाई भी इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं। इस दिन लोग केक काटकर क्रिसमस का आनंद उठाते हैं और एक दूसरे को उपहार भी देते हैं। इस पर्व में केक और गिफ्ट के अलावा एक और चीज का विशेष महत्व होता है, वह है क्रिसमस ट्री। क्रिसमस के साथ कई देशों में उत्सव से जुड़े रीति-रिवाजों में पूर्व-ईसाई, ईसाई और धर्मनिरपेक्ष विषयों का मिश्रण देखनों को मिलता है। क्रिसमस में आधुनिक लोकप्रिय रीति-रिवाजों में उपहार, आगमन कैलेंडर, क्रिसमस संगीत और कैरोलिंग, क्रिसमस कार्ड का आदान-प्रदान लोग करते हैं। लोग चर्च सर्विस, स्पेशल मील, क्रिसमस ट्री को सजाना अपने कार्यों में शामिल करते हैं। क्रिसमस के पर्व पर लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री लगाते हैं। साथ ही इसे रंग-बिरंगी रोशनी और खिलौनों से सजाया जाता है। इसके अलावा, सांता क्लॉज और क्राइस्टकिंड के रूप में खास व्यक्तियों द्वारा क्रिसमस के दौरान बच्चों को गिफ्ट देने की परंपरा है। इसके साथ ही पादरी जे जे ओलिवर का उद्देश्य सांताक्लॉज का अनुसरण करते हुए सभी समाज के गरीबों की मदद करना हैं, जिसे वह 21 वर्षों से कानपुर में करते चले आ रहे हैं।