भए प्रगट गोपाला हरिहर
देवकी रही रूप निहार,
जेल कोठरी जन्में गिरधर
जगत का हित विचार|रात घनी अंधियारी कारी
सो गए थे पहरेदार,
भाद्र कृष्ण अष्टमी न्यारी
वासुदेव चले यमुना के पार|कमल नयन तन घनश्याम रंग
लिए आयुध भुजा चार,
शेषनाग छत्र बन चले संग
यमुना रही पग पखार|गोकुल पहुंचे नन्द महल
वसु अश्रु बहे बार बार,
कृष्ण से योगमाया बदल
कंस से थी करुणा गुहार|बाल लीला ब्रज में खेली
ग्वाल बाल थे उनकी टोली,
माखन चोरी करते पकड़े
यशोदा मुख में देखी संसार|हे गोपाला हे दीनदयाला
कर लो प्रभु वंदन स्वीकार,
फिर से तुम मुरली सुना दो
गीता से समझे जीवन सार|हे केशव हे माधव अनंता
स्तुति करूँ तेरी श्रीकंता,
दामोदर यदुनन्दन बनके
विष्णु रूप धरा गोविंद पधार|हे देवकी नन्दन, हे मुरलीधर
By. संजीव कुमार भटनागर
हे यशोदानंदन हे ज्ञानेश्वर,
चरणों में तेरे स्वर्ग हम पाते
राधारमण तुम दयानिधान|