सचिव नियुक्त होने के बाद से नही छूट पा रहा विवादों से अरविन्द का नाता
संवाददाता।
कानपुर। यूपीसीए सचिव के लैटरहेड पर जारी हस्ताक्षर वाले मामले में प्रदेश क्रिकेट संघ अभी भी जांच करवाने से बचता नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अरविन्द श्रीवास्तव के लैटर हेड पर खिलाफ उन्ही के हस्ताक्षर को लेकर जारी चिटठी से अभी तक कोहराम जारी है है। बीते साल दिसम्बर में अरविन्द श्रीवास्तव के सचिव नियुक्त होने के बाद से उनका विवादों से नाता टूटने का नाम ही नही ले रहा है।
जहां एक ओर लैटर हेड में किए गए हस्ता्क्षर को लेकर चली फॉरेंसिक जांच पूर्णतया सही पाई गई थी और माना जा रहा था कि अब पूर्णतया ईमानदारी और पारद्र्शिता दिखाते हुए संघ के आलाधिकारी किसी ठोस निर्णय पर पहुंच सकेंगे लेकिन लोगों की यह अवधारणा कोरी साबित हो गयी। वहीं दूसरी ओर इस मामले में क्र्राइम ब्रान्च तथ्यों की जांच पर अभी भी अपना काम कर रही है। इस मामले में यदि सचिव पर गाज गिरी तो संघ को नए सचिव की नियुक्त अनिवार्य होगी। इसके लिए यूपीसीपीएल के चेयरमैन या फिर संयुक्त सचिव में से एक को ही सचिव का पदभार संभालने का मौका आलाकमान की ओर से दिया जा सकता है। यदि सचिव अरविन्द श्रीवास्तव को कुर्सी से हटाया गया तो नए नवेले निदेशक और ऊचें ओहदे के कद वाले पूर्व डीजीपी व बुलन्दशहर जिला क्रिकेट संघ के संरक्षक डीएस चौहान को सचिव पद पर नियुक्त करने के अवसर पर आलाकमान की अंतिम मुहर लगने पर किंचित मात्र भी समय नही लगेगा। वहीं संघ के भीतरखाने में चर्चा है कि हाल ही में सम्पन्न उत्तर प्रदेश प्रीमियर लीग की सफलता का इनाम भी पूर्व डीजीपी के खाते में जा सकता है।
माना यह भी जा रहा है कि डीएस चौहान ने यूपीसीए की अन्दरूनी कलह को समाप्त कराने का बीडा उठाया लेकिन उन्हे् आशातीत सफलता प्राप्त ही हो सकी है। यूपीसीए के भीतर चर्चा है कि संघ में संयुक्त सचिव रियासत अली को भी तजुर्बेकार होने का फायदा मिल सकता है। अगर किसी कारणवश सचिव पद की नियुक्ति पर डीएस चौहान के नाम का मामला फंसा तो फिर रियासत अली को मौका दिया जा सकता है। यूपीसीए के कई छोटे जिले के संघ के सदस्यों को रियासत के नाम से गुरेज भी नही है। तो वही संघ के आलाअधिकारी की पहली पसन्द भी डीएस चौहान दिनों दिन बनते ही जा रहें हैं। यही नही संघ के एक निदेशक के निधन के बाद यूपीसीए का निदेशक इन्चार्ज जहा रियासत अली को बनाया गया तो वही डीएस चौहान को यूपीसीपीएल का गवर्निंग काउन्सिल चेयरमैन। माना जा रहा है दोनो ने वह पद उन्होंने इसलिए स्वीकार कर लिया ताकि वह प्रदेश संघ के भीतर चल रहे विवादों को समाप्त करा सके जिसमें वह थोडा सफल होते भी दिखायी दे रहे है। इस मामले में पूर्व उपाध्यक्ष मोहम्मद फहीम ने बात करना भी मुनासिब नही समझा।







