
संवाददाता
कानपुर। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट मे कभी भी चीज सही नहीं चलती हैं चाहे वह टीम का सिलेक्शन हो चाहे कोच का ही चयन क्यों न हो। चाहे कितनी चीजों को बेहतर करने की बात हो। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अभी ग्रीन पार्क अपनी असफलताओं की चलते एड़ियां रगड़ रहा है वहां पर उसे बड़े मैच मिले क्योंकि यूपीसीए में शामिल अधिकारी उस पर ध्यान नहीं दे रही है।
यूपीसीए में नए सत्र का आगाज होने वाला है जहां पर 2005-6 में आखिरी बार रणजी ट्रॉफी आखिरी बार क्या पहली बार रणजी ट्रॉफी जीतने वाली उत्तर प्रदेश की टीम फिर से एक तीन फिर से एक बार नए सत्र का आगाज़ करने को तैयार है। सत्र के शुरु होने में अब केवल 10 दिन बचे हैं और ना तो टीम का ही अनाउंसमेंट हुआ है और ना ही कोच का। जो की सबसे महत्वपूर्ण है कोच का इंपॉर्टेंस पर यहां बताने की उत्तर प्रदेश में जब पिछली बार बाहरी कोचिंग को रखा है। पिछले कई सालों से भारी कोचों पर एक्सपेरिमेंट करते-करते थक के आज ही जा रही और कोई भी कोच ऐसा कोई कमाल नहीं दिखा पाया और अब जहां पर एड़ियां रगड़ती मिली कि वह नॉकआउट में नहीं पहुंच सके ।
इस बार बहुत उम्मीद की जा रही है कि ज्ञानेंद्र पांडे जो उत्तर प्रदेश के पूर्व कप्तान रहे हैं । वह भारतीय खिलाड़ी भी रहे हैं उनको कोच बनाया जाएगा उनका ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा है लेकिन जिस तरह के अंदर खाने से खबर आ रही है कि शायद भाई उनको नहीं पसंद करते हैं। और ऐसे में उनका कोच बनवाना लगभग थोड़ा सा मुश्किल हो रहा है। क्योंकि यहां पर कहावत बड़ी मशहूर है कि अगर भाई मेहरबान तो कोई भी बन सकता है पहलवान ।तो ऐसे में लगता है कि उन इनफीरियर लोग जिनका शायद क्रिकेट के अलावा सब कुछ आता है उन जैसे लोगों को यहां पर कोच बनाया जाएगा ।जबकि ज्ञानेंद्र पांडे के अलावा आशीष विंस्टन जैदी,रिजवान शमशाद जिन्होंने डोमेस्टिक क्रिकेट में पूर्व में इतना इतिहास गढ़ा है। हालांकि उत्तर प्रदेश जीती नहीं उनके दौर में लेकिन उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से यूपी क्रिकेट को संभाला लेकिन आज यह स्थिति की उनके नाम की भी चर्चा नहीं हो रही है और चर्चाएं कैसे नाम की हो रही है जिसको जिसको शायद कानपुर में अपनी एकेडमी चलाना और यूपीसी ए में जो रहने वाले अपने भाई हैं उनका खास होने का फायदा मिलेगा।तो ऐसे में हम यह अंदाजा लगा सकते हैं कि जब यूपी टीम खेलेगी तो किस तरह का प्रदर्शन होगा। और शायद इस बार भी हमें उम्मीद नहीं करनी चाहिए उसका एक और बड़ा कारण है की टीम में पिछले कई सालों से बाहर भारी खिलाड़ियों का ज्यादा प्रवेश हो गया ।अगर अभी वर्तमान में देखे तो कर से पांच खिलाड़ी उत्तर प्रदेश की बॉर्डर जिला यानी दिल्ली और हरियाणा के रहने वाले हैं और यूपी में अपना गाजियाबाद नोएडा का डोमिसाइल बनाकर यूपी टीम में खेल रहे है ।जबकि हमारे खुद कितने टैलेंटेड खिलाड़ी सारी परेशानियों से तंग आकर प्रदेश छोड़कर जा चुके हैं ।तो उत्तर प्रदेश में हालत है वह इस तरह के हैं कि यहां पर क्रिकेट के जिम्मेदार लोग हैं उनका खेल से मतलब है उनका खेल में प्रगति से मतलब नहीं है । कहने का मतलब या लोगों का मानना है कि उनको अपने खेल से मतलब है जिसमें उनके फायदे हो और टीम कुछ करें या ना करें उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। प्रशिक्षकों के नियुक्त किए जाने की संभावना पर बल दिया जा रहा है उनमें मोहम्मद आमिर सबसे नंबर वन पर हैं जिन्होंने 65 मैच में केवल 1684 रन जिसमें सर्वाधिक भी उनका 70 रन ही है वह भाई के सबसे करीबी माने जा रहे हैं लिस्ट ए के माचो में उन्होंने 26 मैच खेलते हुए केवल 236 रन ही बनाए जिस्म भी सर्वाधिक केवल 50 रन है। गौरतलब है कि आशीष जिन्होंने फर्स्ट क्लास के 110 मैचों में 378 विकेट लेकर भारतीय टीम के लिए दस्तक भी दी थी। लेकिन जवागल श्रीनाथ के चयन हो जाने के बाद उन्हें वापस प्रदेश की ओर रुख कर लिया था। उन्होंने लिस्ट एक के मैचों में 49 विकेट भी झटके थे वही बात करें एक और प्रतिभावान खिलाड़ी रिजवान शमशाद की उन्होंने फर्स्ट क्लास के 108 मैचों में 7018 रन जिसमें एक दोहरा शतक 224 रन भी शामिल है ।उन्होंने लिस्ट एक के 69 मैचों में 1834 रन बनाए जिसमें एक सैकड़ा भी शामिल है। ज्ञानेंद्र पांडे जिनको नजर अंदाज किया जा रहा है वह इन सबसे सर्वाधिक और लोकप्रिय क्रिकेटर हैं जिन्होंने दो अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत टीम का प्रतिनिधित्व भी किया उन्होंने फर्स्ट क्लास के 117 मैचों में 5 348 रन जिसमें 178 रनों की नाबाद पारी भी शामिल है। उन्होंने लिस्ट ए के 82 मैचों में 84 रनों के सर्वाधिक स्कोर के साथ 1781 रन बनाकर प्रदेश टीम को किया था। अब प्रदेश क्रिकेट संघ इन सब को छोड़ भाई के सबसे करीबी को सीनियर टीम का प्रशिक्षक नियुक्त करने पर विचार बना रहा है जो प्रदेश क्रिकेट संघ के लिए सही संकेत नहीं दिखाई दे रहे।






