
संवाददाता
कानपुर। नगर की सूख चुकी नून नदी अब दोबारा से पुनर्जीवित हो गई है। एक समय जो नदी पूरी तरह खत्म हो चुकी थी और नक्शे से भी गायब होकर अतिक्रमण से दब चुकी थी। उसमें एक बार फिर से पानी कलकल करने लगा है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल एक जिला–एक नदी के माध्यम से नदियों को पुनर्जीवित किया जा रहा है।
नून नदी बिल्हौर, शिवराजपुर और चौबेपुर के खेतों को सींचती थी, लेकिन धीरे धीरे न तो उसमें पानी बचा था, न कोई पहचान। अतिक्रमणों ने धारा को पूरी तरह बंद कर दिया था।
जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह और मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन के नेतृत्व में इस कार्य को एक सरकारी योजना से अधिक जनभागीदारी अभियान बनाया गया।
48 किलोमीटर लंबी नून नदी का पुराना रास्ता खोजने में राजस्व अभिलेख, ग्रामीणों की यादें, ड्रोन सर्वेक्षण और सैटेलाइट इमेज का सहारा लिया गया। स्थानीय बुजुर्गों ने बताया कि कहां से बहती थी नदी और कैसे गायब हो गई। इसके बाद मनरेगा योजना के तहत सफाई, खुदाई, गाद निकासी और तटबंध निर्माण का कार्य आरंभ हुआ। इसके तहत करीब 6,000 श्रमिकों ने 58 ग्राम पंचायतों से मिलकर करीब 23 किलोमीटर की खुदाई और सफाई का कार्य किया।
यह नदी केवल बहे ही नहीं, ये पर्यावरण से भी जुड़ जाए। इसी लिए जुलाई के पहले सप्ताह में नदी के दोनों तटों पर 40 हजार से अधिक पौधे रोपे गए, जिनमें नीम, पीपल, पाकड़, सहजन जैसे वृक्ष हैं। यह पौधे न केवल हरियाली को बढ़ावा देंगे बल्कि जलवायु संतुलन, पशु-पक्षियों के आवास और मृदा संरक्षण में भी सहायक होंगे।
कई फैक्ट्रियों का दूषित जल नदी में मिल रहा था, उन्हें नोटिस देकर बंद करवाया गया। समाज की सहभागिता से यह अभियान जनआंदोलन में बदल गया। अब जब आप कन्हैया ताल के पास जाएंगे, तो वहां आपको सूना सन्नाटा नहीं, बल्कि जल की कलकल, बच्चों की हंसी और लोगों की चहल-पहल सुनाई देगी।
कानपुर की मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन ने बताया कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप नून नदी को चिह्नित किया गया था। इसका ड्रोन से एरियल सर्वे कराया गया और सैटेलाइट इमेज के माध्यम से इसके मार्ग की भी पहचान की गई। पता चला कि यह नदी काफी जगह अतिक्रमित थी और इसमें जलकुम्भी भी आ गई थी। फरवरी में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में इसके पुनर्जीवन का कार्यक्रम शुरू किया गया। इसमें अधिकतम काम मनरेगा के माध्यम से संचालित किया गया।






