
संवाददाता
कानपुर। कानूनगो आलोक दुबे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों ने प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। जांच रिपोर्ट में उनके पास 30 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति और विवादित जमीनों की खरीद-फरोख्त में संलिप्तता उजागर हुई है। उन्हें सदर तहसील से बिल्हौर में लेखपाल बनाकर भेजा गया है।
यह मामला रामपुर भीमसेन निवासी संदीप सिंह की शिकायत के बाद सामने आया। जांच में पता चला कि सिंहपुर कठार की गाटा संख्या 207 और रामपुर भीमसेन की गाटा संख्या 895 से संबंधित मामले कोर्ट में लंबित थे।
इसके बावजूद, आलोक दुबे ने 11 मार्च 2024 को इन जमीनों की वरासत दर्ज कर उसी दिन बैनामा करा दिया। बाद में, 19 अक्टूबर 2024 को गाटा संख्या 207 को एक निजी कंपनी आरएनजी इंफ्रा को बेच दिया गया।
जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने आलोक दुबे को निलंबित कर दिया। उन्हें कानूनगो के पद से पदावनत कर बिल्हौर में लेखपाल के पद पर तैनात किया गया है।
बिल्हौर विधानसभा की पूर्व प्रत्याशी रचना सिंह गौतम ने इस कार्रवाई को अधूरा बताया है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी का कदम सराहनीय है, लेकिन आलोक दुबे जैसे अधिकारी को फिर से बिल्हौर तहसील में तैनात करना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा है।
रचना सिंह गौतम ने आलोक दुबे पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने सेवा से बर्खास्तगी और उनकी अवैध संपत्तियों की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित करने की भी मांग की।
स्थानीय निवासियों ने भी रचना सिंह गौतम की मांगों का समर्थन किया है। उनका कहना है कि जब तक भ्रष्ट अधिकारियों को जेल नहीं भेजा जाएगा, जनता का विश्वास बहाल नहीं होगा।
स्थानीय निवासियों ने अपनी मांगों को लेकर जिलाधिकारी को संबोधित एक ज्ञापन तहसीलदार अनुभव चंद्रा को सौंपा।
इस दौरान गंगाराम गौतम, जीतू, लोकेश अवस्थी, पंकज भारतीय, ऋषभ यादव, नीलू और पंकज भारती सहित कई लोग मौजूद थे।






