
संवाददाता
कानपुर। सभी सरकारी धान खरीद केंद्रों पर पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सरकार ने एक नई तकनीक लागू की है। अब किसानों की पहचान अंगूठे के निशान के बजाय आंखों की स्कैनिंग से की जाएगी। इस नई व्यवस्था के तहत, धान की तौल तभी होगी जब आंखों का मिलान सही पाया जाएगा। यह प्रणाली 1 नवंबर से सभी सरकारी खरीद केंद्रों पर प्रभावी होगी, जिसका मुख्य उद्देश्य फर्जीवाड़ा रोकना और खरीद प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाना है।
शिवराजपुर, उत्तरीपुरा, चौबेपुर, बिल्हौर और ककवन सहित विभिन्न खरीद केंद्रों पर आने वाले किसानों को अपनी खतौनी के अनुसार ही फसल की तौल करानी होगी। इसके उपरांत, किसान की पहचान ई-पॉप मशीन में लगे आई स्कैनर डिवाइस के माध्यम से की जाएगी। पहले उपयोग में लाया जा रहा फिंगरप्रिंट सिस्टम अब निष्क्रिय कर दिया गया है।
इस नई व्यवस्था में, मशीन को आईरिस स्कैनर के साथ जियो-फेसिंग सिस्टम से भी जोड़ा गया है। यह तकनीक केवल 200 मीटर की परिधि के भीतर ही स्कैन करने में सक्षम होगी। यदि कोई अन्य व्यक्ति किसी पंजीकृत किसान के बदले धान तौल कराने का प्रयास करता है, तो मशीन इस फर्जीवाड़े को तुरंत पहचान लेगी।
बिल्हौर के उप जिलाधिकारी संजीव दीक्षित ने बताया कि केवल वही किसान धान बेचने के लिए केंद्र पर पहुंच सकेगा, जिसने पंजीकरण कराया है। केंद्र पर आंखों की स्कैनिंग होते ही किसान के डेटा का पंजीकरण रिकॉर्ड से मिलान किया जाएगा, जिससे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना समाप्त हो जाएगी।






