· कार्यकाल और आयु-सीमा उल्लंघन के आरोप, चार सप्ताह में जवाब देने के निर्देश

संवाददाता
कानपुर। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के लोकपाल ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) को एक गंभीर शिकायत के संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शिकायत में यूपीसीए की मान्यता रद्द करने की मांग की गई है और आरोप लगाया गया है कि संघ के कई पदाधिकारी बीसीसीआई के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
क्या हैं आरोप?
शिकायतकर्ता ने बीसीसीआई के नियम 3(बी) के अंतर्गत लोकपाल को पत्र भेजकर आरोप लगाया है कि यूपीसीए के कई शीर्ष पदाधिकारी और निदेशक: कार्यकाल की सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं, 70 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा पार करने के बावजूद पद पर बने हुए हैं, और संविधान द्वारा तय की गई पारदर्शिता और जवाबदेही के मानकों को दरकिनार कर रहे हैं।
बीसीसीआई के संविधान के अनुसार, किसी भी राज्य क्रिकेट संघ के पदाधिकारी का कार्यकाल सीमित है और 70 वर्ष की उम्र पार करने के बाद वह पद पर नहीं रह सकता। शिकायत में आरोप है कि इन नियमों की लगातार अनदेखी की जा रही है।
लोकपाल की कार्रवाई
लोकपाल ने शिकायत को प्रथम दृष्टया गंभीर मानते हुए यूपीसीए के संबंधित पदाधिकारियों को नोटिस जारी किया है। सभी प्रतिवादियों को निर्देश दिया गया है कि वे इस नोटिस की प्राप्ति की तिथि से 4 सप्ताह के भीतर अपना लिखित उत्तर प्रस्तुत करें। यदि कोई दस्तावेज़, स्पष्टीकरण या साक्ष्य प्रस्तुत करना हो, तो वह भी उत्तर के साथ संलग्न किया जाए।
यह नोटिस यूपीसीए के अधिकृत ईमेल पते पर भेजा गया है, जो उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है।
यूपीसीए की प्रतिक्रिया पर नजरें
अब तक यूपीसीए की ओर से इस नोटिस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, संघ से जुड़े एक सूत्र ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि संगठन इस नोटिस का कानूनी रूप से जवाब देने की तैयारी कर रहा है और सभी जरूरी दस्तावेज एकत्र किए जा रहे हैं।
क्या हो सकते हैं परिणाम?
क्रिकेट प्रशासन से जुड़े जानकारों का मानना है कि यदि आरोप सही पाए गए, तो यूपीसीए की मान्यता पर खतरा मंडरा सकता है। इससे न केवल उत्तर प्रदेश में क्रिकेट संरचना प्रभावित होगी, बल्कि बीसीसीआई की आंतरिक प्रशासनिक साख पर भी सवाल उठ सकते हैं।
उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ लंबे समय से भारतीय क्रिकेट में एक अहम भूमिका निभाता रहा है। यहां से कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं। ऐसे में संघ के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई क्रिकेट जगत में हलचल पैदा कर सकती है।
आगे क्या?
अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि अगले चार सप्ताह में यूपीसीए लोकपाल को क्या जवाब देता है, और क्या बीसीसीआई की यह कार्रवाई भारतीय क्रिकेट के प्रशासनिक सुधारों की दिशा में कोई नई मिसाल कायम करेगी।






