
संवाददाता
कानपुर। शासन द्वारा जारी की गई सीएम डैशबोर्ड रैकिंग में कानपुर जिले की हालत खराब है। नवंबर माह की रैंकिंग में राजस्व और विकास मामलों में कानपुर की प्रदेश में 64वीं रैंक है। जिले को कुल 10 में से 8.28 अंक मिले हैं। इसके अलावा विकास कार्यों में कानपुर की 59वीं और राजस्व मामलों में 63वीं रैंक आई है।
डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह की ओर से लगातार बैठकों और दिशानिर्देश देने के बाद भी रैंकिंग में कोई खास सुधार नहीं हो रहा है। शासन की ओर से प्रदेश के 75 जिलों की रैंकिंग में टॉप रैंकिंग में कोई भी महानगर अपनी स्थान नहीं बना पाया है। छोटे जिलों ने बेहतर प्रदर्शन करके टॉप रैंक हासिल की है।
अक्टूबर की रैंकिंग में कानपुर 40वें स्थान पर था। सितंबर माह में भी जिले की रैंक 64वीं रही थी। जारी रैंकिंग में बॉटम के 15 जिलों में शामिल होना साफ बता रहा है कि जिला स्तर के अधिकारियों की ओर से सख्ती जरूर है, लेकिन जमीनी स्तर पर कई विभागों के अधिकारी जानबूझकर लापरवाह बने हुए हैं। शासन की ओर से जारी रैंकिंग में आई यह गिरावट अफसरों की कार्यशैली और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
सीएम डैशबोर्ड पर दर्ज विकास कार्यों में दिव्यांग पेंशन, मातृत्व-शिशु एवं बालिका योजना, ओडीओपी वित्त पोषण, बिजली, शिक्षा, सड़क निर्माण, सामूहिक विवाह, आवास और जल जीवन मिशन जैसी अहम योजनाएं शामिल हैं। नवंबर माह में इन विकास कार्यों के मूल्यांकन में कानपुर को 59वीं रैंक मिली, जबकि अक्टूबर में जिला 18वें स्थान पर था। नवंबर में आई यह गिरावट विभागीय लापरवाही को उजागर करती है।
जिले की राजस्व कार्यों में हालत सबसे ज्यादा कमजोर नजर आई। स्मार्ट सिटी मिशन, हाउस टैक्स वसूली, सरकारी कर राजस्व और कुल राजस्व प्राप्ति समेत 68 परियोजनाओं के मूल्यांकन में कानपुर की रैंकिंग 63वें स्थान पर रही, जबकि अक्टूबर में 62वीं थी।






