संवाददाता।
अयोध्या। अयोध्या नगरी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरी तरह सज संवर गई है। रेलवे स्टेशन और बस अड्डे का स्वरूप बिल्कुल आधुनिक और नया हो गया है। भाजपा बनाम अन्य दलों के बीच प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व ही घमासान मचा है। भाजपा, कांग्रेस को धर्म और सनातन विरोधी बता रही है। इधर कांग्रेस इस प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को भाजपा का इवेंट बता रही है। इस राजनीतिक युद्ध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीच-बीच में धार्मिक अनुष्ठान कर विरोधियों की बोलती बंद करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मात्र 10 दिन शेष रह गए हैं। इस बीच मंदिर न्यास परिषद की ओर से बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, बिहार के लोकप्रिय नेता और गरीबों के मसीहा बाबू जगजीवन राम एवं दलित राजनीति में मजबूत दखल रखने वाले कांशीराम के स्वजनों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का न्योता दिया गया है। बाबू जगजीवन राम इंदिरा गांधी के काफी करीबी थे। अपने मृदुल स्वभाव के कारण बिहार में उनकी तूती बोलती थी। उनकी पुत्री मीरा कुमार भी कांग्रेस में हैं। बहुजन समाजवादी पार्टी की नेत्री मायावती कांशीराम की वजह से ही राजनीति में आगे बढ़ीं। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर संविधान के निर्माता रहे। दलित राजनीति का एक मजबूत धुरी बाबा साहेब भी हैं। परिणामस्वरूप इन तीनों के स्वजनों को न्योता देकर राजनीति का एक बड़ा दांव खेला गया है। भाजपा के बड़े नेता सुधांशु त्रिवेदी ने एक बड़ा बयान देकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के कुछ नेता कट्टरपंथी वोटों के कारण प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं। इस कांग्रेस के बीच राजस्थान के कोटा में भीतर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का बहिष्कार करने को लेकर घमासान मचा हुआ है। पार्टी के कुछ नेताओं ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। राजस्थान में कांग्रेस की पराजय के बाद इस तरह पार्टी कार्यकर्ताओं का विरोध कांग्रेस के लिए शुभ संदेश नहीं है। इधर मंदिर न्यास समिति ने पूजा- पद्धति में बदलाव के संकेत दिए हैं। बताया गया है कि गर्भगृह में भगवान राम के साथ-साथ अन्य भाइयों की भी पूजा और स्तुति होगी। रामलला को हर दो-दो घंटे पर दूध और मिष्ठान का भोग लगाया जाएगा। मंदिर परिसर में चांदी और स्वर्ण मिश्रित नगाड़ा भी आ गया है। इस नगाड़े का निर्माण गुजरात में हुआ है। भगवान राम के भक्तों को इसकी गूंज एक किलोमीटर तक सुनाई देगी।