December 3, 2024

संवाददाता।
कानपुर। हैलट में विदेशी शोधकर्ताओं के एक दल ने भ्रमण कर वहां की चीजों के बारे में जाना। उन्होंने जच्चा बच्चा विभाग और स्त्री रोग विभाग का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने वहां के डॉक्टर से आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के बारे में जानकारी ली और कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने के तरीके पूछे। इसके अलावा वार्ड में मरीज की देखरेख एक साथ कैसे की जाती है। इसके बारे में भी जानकारी की। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के मुताबिक जब विदेशी दल ने मरीजों की संख्या देखी तो वह दंग रह गए। उन्होंने सबसे पहले यह जानने का प्रयास किया कि इतने सारे मरीजों को यहां पर कैसे एक साथ मैनेज किया जाता है। इसके लिए कितनी मैनपावर की जरूरत होती है। हर मरीज तक सहायता पहुंचे इसके लिए क्या-क्या इंतजाम किए गए हैं। एक मरीज पर कितना समय दिया जाता है। यह विदेशी दल बेस्ट फीडिंग कराने के तरीकों पर रिसर्च कर रहे हैं, जिसके चलते यह लोग कानपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे। टीम में एलान दजुबा, लिंडा वेसेल, सयू वैरिमू शामिल थे। उन्होंने यह जानना चाहा की डिलीवरी के कितनी देर के बाद मां बच्चे को दूध पिलाती हैं। इस पर डॉक्टरों ने बताया कि डिलीवरी के 1 घंटे के अंदर 70% महिलाएं स्तनपान कराना शुरू कर देती हैं। जिन महिलाओं का ऑपरेशन हुआ होता है उन्हें किस तरह से ट्रीटमेंट दिया जाता है। मां को स्तनपान के प्रति कैसे जागरूक किया जा रहा है, उसके बारे में भी उन्होंने जाना। उन्होंने डॉक्टरों से यह भी जानने का प्रयास किया कि किस वर्ग के लोगों में स्तनपान को लेकर जागरूकता कम है। इसके अलावा उन्होंने यह भी पूछा कि भारतवर्ष में कितने प्रतिशत मां जन्म के बाद से बच्चों को दूध पिला रही हैं। इस दौरान मां को किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है व अन्य समस्याओं के बारे में भी पूछा। विदेशी दल ने यह भी जानना चाहा कि ओआरएस सप्ताह के अंतर्गत आप लोगों ने क्या-क्या काम किया और लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए कैसे टीम वर्क किया गया। इसके अलावा विदेशी दल ने हैलट के डॉक्टर से यह भी शेयर किया कि विदेश में किस तरह से स्तनपान को लेकर महिलाओं को सुविधा दी जाती हैं और इसका प्रमोशन वह लोग कैसे कर रहे हैं। इसपर भी चर्चा की गई। विदेशी दल ने कहा कि स्तनपान को लेकर जागरूकता बहुत जरूरी है। जैसे जैसे हम लोगों में जागरूकता पैदा कर रहे हैं वैसे ही हमें स्तनपान कराने के लिए उन्हें सुविधाएं भी देनी चाहिए। अगर कोई महिला घर से बाहर है तो वह कैसे स्तनपान करा सकती है। इसको लेकर कुछ काम करना होगा। टीम ने पहले ओपीडी में जाकर वहां की कार्यशैली को देखा। इसके बाद वार्डों में भी घूमे। वार्ड के अंदर महिलाएं अपने बच्चों के साथ किस तरह से है और इस माहौल में दोनों लोग कैसे सामंजस बैठाते हैं इसको भी उन्होंने अपनी डायरी में नोट किया। हर वार्ड में जाकर उन्होंने अलग-अलग नजरिए से डॉक्टर से पूछा और हर बिंदुओं को वह लोग नोट करते रहे। 

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