October 18, 2024

संवाददाता।
कानपुर। नगर के मेडिकल कॉलेज में तैनात एक नर्स राजकुमारी हर लावारिस बच्चों के साथ एक माँ के समान व्यवहार करती है। उनकी देखरेख में पिछले 6 सालों में कम से कम 10 बच्चों को नाम मिला है, जो भी उनके कामों को सुनता है वह सराहना करने से नहीं थकता। वह अपनी ड्यूटी के साथ-साथ मानवता का एक फर्ज भी अदा कर रही है। इंचार्ज सौरभ यादव ने बताया कि आवास विकास निवासी राजकुमारी खरवार पिछले 30 सालों से हैलट हॉस्पिटल में नर्स के पद पर तैनात हैं। पिछले 6 साल से वह एनआईसीयू में अपनी ड्यूटी कर रही है। उसके साथ ही साथ वह मानवता का भी एक बड़ा उदाहरण है। जब कोई बच्चे को लावारिस हालत में मेडिकल कॉलेज में छोड़ जाता है तो वह उस बच्चे को एनआईसीयू में रखती हैं। उसका पूरा चेकअप करने के बाद हर सुविधाओं का ध्यान देती है। यदि उसके अंदर कोई तकलीफ है तो उसका खर्च भी खुद ही वहन करती हैं और पूरा इलाज कराती हैं। राजकुमारी ने बताया कि उनके साथ इंदु, लक्ष्मी, अंजलि, एनआईसीयू इंचार्ज सौरभ यादव व अन्य डॉक्टर मिलकर उस बच्चे का पूरा ख्याल रखती हैं। एनआईसीयू में तैनात नर्स जैसे अपनी ड्यूटी करती हैं, उसी हिसाब से लावारिस बच्चों को संभालने की भी ड्यूटी करती हैं। राजकुमारी के साथ जो भी नर्स है वह उन बच्चों के साथ खेलती है और उसे एक नाम देती है, ताकि बच्चे को कोई नाम मिल सके। जब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है तो प्रशासन की मदद से उन्हें किसी परिवार को गोद दे दिया जाता है। जून माह में हैलट में बने पालना गृह में एक मां अपनी 6 दिन की बच्ची को छोड़कर चली गई थी। बच्ची की लैट्रिन और पेशाब का रास्ता एक ही था। उसके बाद जब मां को इस बीमारी का पता चला तो वह बच्ची को हैलट में ही छोड़कर भाग निकली। जनवरी माह में कल्याणपुर में एक मां बच्चे को मंदिर के पास छोड़कर चली गई थी, जिसे पुलिस ने बाल रोग विभाग में भर्ती करा दिया था। उसकी देखरेख भी राजकुमारी की टीम ने की और फिर 2 माह के बाद उसे एक परिवार को गोद दे दिया। वर्तमान में राजकुमारी दो लावारिस बच्चों की देखरेख कर रही हैं। एक का नाम खुशी, दूसरे का नाम अनमोल रखा है। राजकुमारी ने बताया कि महिलाएं उन बच्चों को छोड़ देती हैं, जिनको पैदा होते ही कोई बड़ी बीमारी होती है, क्योंकि यह लोग बच्चों का इलाज करा पाने में सक्षम नहीं होती है, जिसकी डर की वजह से बच्चे छोड़ देती है। अभी तक जितने भी बच्चों को पाला है। उन बच्चों में कोई ना कोई बड़ी बीमारी थी। कोई बचपन से ही पोलियो की बीमारी से ग्रसित था तो कोई सुनने और बोलने में असमर्थ था। राजकुमारी ने कहा कि हमारा मकसद है कि हर बच्चे को मां का प्यार मिले, कोई भी बच्चा इस प्यार से अछूता ना रहे। इसलिए हम लोग प्रयास करते हैं कि जो भी लावारिस बच्चे हैं वह किसी अच्छे परिवार के हाथ जाए, ताकि उनकी अच्छी परवरिश हो सके और उनका भविष्य सुनहरा हो। इसी सोच के साथ हम लोग आगे काम कर रहे हैं। राजकुमारी ने कहा कि यदि कभी कोई बच्चे को पालने में दिक्कत आई तो हम लोग प्रधानाचार्य डॉ. संजय काला से बात करते हैं। वह हर तरह की मदद करने को तैयार रहते हैं। उनकी वजह से ही हम लोग इतने लावारिस बच्चों को पालने में सफल रहे हैं। 

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