November 21, 2024

संवाददाता।
कानपुर।
नगर में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के सहायक अध्यापक डॉ. आरके पाठक का रविवार को निधन हो गया। वह पिछले चार महीने से वेतन न मिलने से परेशान थे और गंभीर बीमारी लीवर सिरोसिस का इलाज करा रहे थे। उनका दिल्ली के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। परिजनों का कहना है कि धन अभाव के कारण ठीक से इलाज भी नहीं करा पाए। विश्वविद्यालय की ओर से चार माह का वेतन भी अटका था। प्रोफेसर पाठक की पत्नी इंदुमती पाठक ने बताया कि आर्थिक संकट होने से दिल्ली में हो रहे इलाज में व्यवधान आ रहा था। इसको लेकर कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन से भी बात की और पत्र भी लिखा। कोर्ट में मामला विचाराधीन होने की वजह से चार महीने से वेतन न मिलने से आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा था। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के मृदा एवं कृषि रसायन विभाग में सहायक अध्यापक डॉ. आरके पाठक आखिरकार जीवन की जंग हार गए। मई महीने में लीवर में दिक्कत होने के बाद से डॉ. पाठक का इलाज दिल्ली में चल रहा था। इंदुमती ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन, कमिश्नर, डीएम सभी को पत्र लिखा, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था, न कि वेतन रोकने का, इसके बावजूद वेतन नहीं दिया गया और आर्थिक कमी से इलाज में दिक्कतें बढ़ गईं। जब परिजन डॉ. पाठक का पार्थिव शरीर लेकर सीएसए कैंपस पहुंचे तो बवाल की आशंका के चलते फोर्स तैनात कर दिया गया था। उनके पिता डॉ. रामकृष्ण पाठक ने कहा कि सीएसए के कई शिक्षक और छात्र उनके अंतिम दर्शन करना चाहते थे। इस कारण पार्थिव शरीर कैंपस में लाया गया था। कैम्पस में श्रद्धांजलि देने के बाद शव को भैरव घाट ले जाया गया। जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षक पद पर काम कर रहे सभी आरए का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। उन्हें 5400 ग्रेड पर वेतन देने का निर्देश एक सप्ताह पहले जारी कर दिया गया था। सीएसए में रिसर्च असिस्टेंट (आरए) का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। विवि में कुछ शिक्षकों की नियुक्ति आरए पद पर हुई थी। इसमें से डॉ. पाठक भी शामिल थे। आरए को प्रमोट कर सहायक आचार्य का ग्रेड पे दिया जाने लगा। 2022 को यह शासनादेश आया कि आरए शिक्षक की श्रेणी में नहीं शामिल किए जाएंगे। इसके बाद आरए का वेतन रोक दिया गया था। इनका ग्रेड पे भी कम कर दिया गया था। इस पर शिक्षक कोर्ट चले गए। अंत में कोर्ट ने मामले में विवि के कुलपति को निर्देशित किया है कि वह तय करें कि आरए शिक्षक हैं या नहीं। अप्रैल से शिक्षक पद पर काम कर रहे किसी भी आरए को वेतन नहीं मिला था। प्रोफेसर पाठक के पिता ने बताया कि मेरा बेटा का पैसा ही उसको इलाज के लिए नहीं मिल सका। दिल्ली में इलाज काफी महंगा था। दो-दो लाख के दो इंजेक्शन लगे। तीसरा इंजेक्शन लगने का पैसा नहीं था। इलाज करने के लिए खेत पहले ही बिक चुके थे। उनकी पत्नी ने वेतन के लिए कई जगह गुहार लगाई थी। लेकिन पैसे का बंदोबस्त नहीं हो पाया। उसकी दो बेटियां हैं, जिनकी अभी तक शादी नहीं हुई है। डॉ. पाठक की पत्नी डॉ. इंदुमती ने विवि को पहले ही पत्र में स्पष्ट लिखा कर कहा था कि धनाभाव के कारण इलाज में व्यवधान आ रहा है, अगर कुछ विपरीत घटना होती है तो इसका जिम्मेदार विवि प्रशासन होगा। इसके बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं की गई और इंदुमति को जैसा डर था वैसा ही हुआ। 

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