संवाददाता।
कानपुर। सीएसजेएमयू में आज शिक्षा मंथन 2023 कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ है। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए शिक्षा मंथन में आए सभी कुलपति और प्रोफेसरों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जो काम हम करते हैं, उसमें थोड़ा बदलाव कर बहुत कुछ बदल सकते हैं। इससे बच्चों को बहुत से फायदे भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि बस हमें अपनी ताकत को पहचानने की जरूरत है। अगर हम मेहनत करें तो विश्वविद्यालय के स्वरूप को बदल सकते हैं। आज के बच्चे नया करना चाहते हैं। अगर हम उनके साथ लगे तो एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कि विश्वविद्यालय अपने छात्रों को किसी ना किसी काम में जरूर व्यस्त रखें। बच्चे खाली रहेंगे तो किसी भी नई चीज के आने पर वह विरोध करेंगे, प्रदर्शन करेंगे। अगर वह अपने काम में बिजी रहेंगे तो कभी ऐसा नहीं होगा। हम सोचते हैं कि एक काम हो जाए उसके बाद दूसरा काम शुरू करेंगे, जो कि गलत है। हम एक साथ कई कामों को कर सकते हैं। हमको बस सोच बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों कॉलेज और विश्वविद्यालय में योगा करने की सोची गई थी, जो कि कार्यक्रम बहुत अच्छा रहा। बच्चों ने पानी के अंदर योगा करके दिखाया, जोकि लोगों की सोच से भी बहुत दूर था। हमें बच्चों को इतिहास से रूबरू कराना चाहिए। योगा के कार्यक्रम में पूरे प्रदेश में 16 लाख युवाओं ने हिस्सा लिया है। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जब एनएसीसी की पहली बैठक हुई तो लोग बोलने में बहुत संकोच कर रहे थे, लेकिन जब एनएसीसी में ग्रेड आया तो दूसरी बैठक में लोगों के बोलने में बड़ा अंतर्गत दिखाई दे रहा था। अगर कोई छात्र परेशान है तो टेबल से उठकर उसकी समस्या का समाधान करें। उन्होंने कहा कि जो भी एमओयू विदेश से हुए हैं वह आम नहीं है। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हुई है। आने वाले समय में बहुत बड़ा काम होने वाला है। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को चिंतन बैठक करना चाहिए तभी सभी के बातें निकल कर सामने आएंगी, जब लोग अपने विचार रखेंगे तभी हम किसी चीज पर फैसला कर सकते हैं। हमें अपने विश्वविद्यालय को ऐसा बनाना है कि दूसरा विश्वविद्यालय देखने आए और जब देखने आए तो हमारा फर्ज है कि हम उनकी उंगली पकड़कर वैसे ही उनको भी चलना सिखाए, ताकि वह भी आगे पढ़कर काम कर सकें। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर संजीत सिंह ने कहा कि आज के समय में सभी विश्वविद्यालयों को मैपिंग करने की बहुत जरूरत है, जो की बहुत कम लोग कर रहे हैं। अगर हमको रैंकिंग में शामिल होना है तो सबसे पहले मैपिंग करें, जब मैं कानपुर विश्वविद्यालय आया तो मैंने उनकी बुकलेट देखी। उन्होंने अपने एक-एक विभाग की मैपिंग कर रखी थी। अगर हमको रैंकिंग में शामिल होना है तो सबसे पहला काम हमको एनालिसिस करना होगा। देखना है कि सबसे ऊपर कौन सी यूनिवर्सिटी है और सबसे नीचे कौन सी यूनिवर्सिटी है। इसके बाद हम उनसे अपना मिलान करें। इसके बाद हम डाटा मैपिंग पर काम करें। छोटा काम हो या बड़ा उसे सब तक पहुंचाना बहुत जरूरी है, तभी लोग हमारे काम को जान पाएंगे। फिर शॉर्ट एनालिसिस करें। अपनी छोटी-छोटी कमजोरियों को समझे। इसके बाद उन्हें चुनौती के साथ स्वीकार करें और उस पर काम करें। जो भी विश्व रैंकिंग में आ रहे हैं उन्हें बड़ी आसानी से एनएसीसी में ग्रेड मिल जाता है। इसलिए पहले रैंकिंग को अपडेट करना होगा। भारत के अंदर कोई भी विश्वविद्यालय स्वयं का कोर्स डवलप नहीं करती है, जबकि सरकार उन्हें को इस काम के लिए 8 लाख देती है। सबसे पहले तो हमें इस काम को शुरू करना चाहिए। हमको उपक्रम को बढ़ाना है। इसके लिए प्रदेश में कई विश्वविद्यालय में अपनी सेल को बढ़ाना है। आपको अपनी ब्रांडिंग खुद करनी पड़ेगी। सोशल मीडिया के माध्यम से आप अपने कामों की और कॉलेज विश्वविद्यालय की ब्रांडिंग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का आयोजन राजभवन के निर्देश पर किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी सीएसजेएमयू को दी गई है। दो दिवसीय कार्यशाला में प्रदेश के सभी विवि व संस्थान प्रतिभाग कर रहे हैं। इसके साथ राज्य के सभी कृषि, चिकित्सा, संस्कृति, प्राविधिक व राज्य विवि के कुलपति, रजिस्ट्रार, वित्त नियंत्रक, परीक्षा नियंत्रक, आईक्यूएसी के हेड समेत संस्थानों के निदेशक व 10 से 15 वर्षों का अनुभव रखने वाले प्रोफेसर स्तर के शिक्षक भी शामिल हुए हैं। इस कार्यशाला में जिस-जिस बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी, उसकी एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उसके बाद उस पर उच्च अधिकारी फैसला लेंगे। इसके रिपोर्ट के आधार पर ही प्रदेश के विश्वविद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता में बदलाव लाया जाएगा। इस कार्यक्रम में आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज जोधपुर के पीडियाट्रिक्स एकेडमिक हेड के विभागाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह, प्रो. अश्विन फर्नांडिस, रीजनल डायरेक्टर एंड सीईओ-मिडिल ईस्ट, नार्थ अफ्रीका, साउथ एशिया-क्यूएस रेटिंग दुबई। इसके अलावा एनआईआरएफ नई दिल्ली के सदस्य डॉ. अनिल कुमार नासा, इंडियन लैंग्वेज कमेटी नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. छामू कृष्ण शास्त्री, नैक बेंगलुरू के पूर्व सलाहकार डॉ. के रामा, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय प्रति कुलपति प्रो. संजीत सिंह, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय वाइस प्रेसिडेंट हिमानी सूद, एआईसीटीई नई दिल्ली के चेयरमैन डॉ. टीजी सीथाराम, एआईयू नई दिल्ली के जनरल सेक्रेटरी डॉ. पंकज मित्तल, यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली के कुलपति डॉ. योगेश सिंह शामिल हुए हैं।