संवाददाता।
कानपुर। कानपुर में मुहर्रम का महीना ‘ताज़िया’ रखने की परंपरा के साथ शुरू हो गया है, जो बुधवार रात से शुरू हुई। मुहर्रम के 7वें दिन से ताजिया रखने की प्रथा शुरू हो जाती है। लोग देर रात तक नमाज़ अदा करने और ‘ताज़िया’ की पूजा करने के लिए विभिन्न इमाम बारगाहों (पूजा स्थलों) पर इकट्ठा होना शुरू कर चुके हैं। ऐसा अनुमान है कि पूरे शहर में विभिन्न स्थानों पर 700 से अधिक ‘ताज़िया’ रखे गए हैं। इमाम बारगाहों में, जहां ‘ताजिया’ रखे जाते हैं, लोग मुहर्रम के 7वें दिन से ‘फातिहा’ भी पढ़ते हैं। मुहर्रम महीने की 7वीं, 8वीं और 9वीं तारीख को ‘ताजिया’ रखे जाते हैं। मुहर्रम के 9वें दिन, लोग रात भर प्रार्थना करते हैं। नई सड़क, बेगमगंज, चमन गंज, बाबू पुरवा, इफ्तिखाराबाद, नाला रोड, परेड, रावतपुर, घंटाघर और सुतर खाना सहित शहर के विभिन्न स्थानों पर ‘ताज़िया’ देखने और प्रार्थनाओं के माध्यम से आशीर्वाद लेने के लिए आने वाले लोगों का तांता लगा रहता है। मुहर्रम की 7वीं तारीख से ताजिया रखने और नमाज पढ़ने का सिलसिला शुरू हो गया। मुसलमान, अपनी आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, परंपरा में भाग लेते हैं। यहां तक कि जो लोग इमाम बारगाहों पर बड़े ताजिये रखने का जोखिम नहीं उठा सकते, वे भी उन्हीं स्थानों पर छोटे ताजिये रखकर अपनी मन्नतें पूरी करते हैं। जब लोग मन्नतें मांगते हैं और उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वे अपनी प्रार्थनाओं के अनुपात में ‘ताज़िया’ चढ़ाकर अपना वादा निभाते हैं।