संवाददाता।
कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में आयोजित शिक्षा मंथन-2023 में शामिल हुए क्यूएस रैंकिंग के रीजनल डायरेक्टर और मिडिल ईस्ट, नॉर्थ अफ्रीका व साउथ एशिया के सीईओ प्रो. अश्विन फर्नांडिस ने बताया कि कोविड काल के दौरान जब देश बड़ी समस्या से जूझ रहा था तो उस दौरान भारत देश सबसे अधिक शोध करने के मामले में तीसरे नंबर का देश था। पहले नम्बर पर यूएसए और दूसरे नम्बर चीन था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के सपना है कि भारत को विश्वगुरु बनाना है। अब हम लोग इस और आगे बढ़ चुके हैं। इनोवेशन के साथ-साथ शैक्षिक गुणवत्ता में तेजी से बदलाव आ रहे हैं। दुनिया भर में 35,000 विश्वविद्यालय के बीच कानपुर का आईआईटी 278वीं रैंक में आया है, जोकि अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है। इससे हम यह अंदाजा लगा सकते हैं कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश को बहुत बड़ी उपलब्धि मिलने वाली है। फर्नांडिस ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपनी शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सबसे पहले अपने स्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा। इसके अलावा अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है। यदि संस्थान ने इस ओर ध्यान दिया तो हम क्यूएस रैंकिंग में शामिल हो सकते हैं। संस्थानों को थोड़ी मेहनत करने की जरूरत है। छात्र छात्राओं के साथ अपने स्टाफ के साथ भी मेहनत करनी पड़ेगी।क्यूएस के पास कुल 6000 विश्वविद्यालय व संस्थानों का डाटा सुरक्षित है, जिसमें से हम लोग 104 देशों के संस्थानों को शामिल करते हैं। लगभग 1500 तक रैंकिंग जारी करते हैं। क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में उत्तर प्रदेश के 5 संस्थान शामिल है, जिसमें कि आईआईटी कानपुर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, एमिटी यूनिवर्सिटी व आईआईटी शामिल है। एशिया रैंकिंग में प्रदेश के 8 संस्थान है। इस वर्ष से क्यूएस रैंकिंग में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। जैसे कि एकेडमिक रिप्युटेशन को 30 फीसदी वेटेज दिया गया है, जोकि पहले 40 फीसदी था। इसी तरह इंप्लॉयर रिप्युटेशन को 10 से बढ़ाकर 15 फीसदी, फैकल्टी स्टूडेंट रेसियो को 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है। सस्टेनेबिल्टी पैरामीटर नया जोड़ा गया है। अन्य पैरामीटर में बदलाव नहीं है।