November 22, 2024


कानपुर। शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मंगलवार को अपने घरों व मंदिरों में भक्तों ने मां चन्द्रघन्टा के स्वरूप की पूजा-अर्चना की। भक्तों ने माता को सफेल कमल के फूल व पीला गुलाब अर्पित कर प्रसन्न् करने का काम किया और उनको खीर का भोग चढ़ाया। शहर के साथ आसपास सटे ग्रामीण अंचलों में इन दिनों धूमधाम से नवरात्रि पर्व का त्यौहार मनाया जा रहा है। मान्यता है कि आदिशक्ति मां की आराधना से साधकों को चिरायु,आरोग्य,सुखी और संपन्न होने का वरदान प्राप्त होता हैं। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं । इनका वाहन सिंह है अतः इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है।

विशेष रूप से ऐसे लोग जिनको बहुत क्रोध आता हो या फिर छोटी-छोटी बातों से विचलित हो जाने और तनाव लेने वाले तथा पित्त प्रकृति के लोग मां चंद्रघंटा की भक्ति करें। देवी चन्द्रघन्टा की पूजा व आराधना करने वाले व्यक्ति पर मां देवी यह कृपा करती है कि, उनके जीवन से भय, नकारात्मकता और असफलता जड़ से नष्ट हो जाते है और जीवन में शांति और सौम्यता प्राप्ति होने के साथ ही चिरायु,आरोग्य,सुखी और संपन्न होने का वरदान देती है। भक्तों ने माता की पूजा अर्चना कर उनके चरणों में श्रृद्धा सुमन अर्पित किए और चिरायु और निरोगी जीवन का वरदान मांगा। शहर के बाराह देवी मंदिर, जंगली देवी मंदिर, तपेश्वरी मंदिर और काली मठिया मंदिर में भी भक्तों ने देवी मां के दर्शन किए। कल्याणपुर के आशा माता मंदिर, मंधना के राहू माता मंदिर तथा नारामऊ और दामोदर नगर के वैष्णो माता मंदिर में भक्तों ने मां को चुनरी और प्रसाद अर्पित कर अपने सफल जीवन के लिए वरदान मांगा।. नवरात्र के तीसरे दिन भक्तों ने देवी के तीसरे स्वरूप चन्द्रघन्टा माता का पूजन विधि विधान से किया और उनसे मन्नत मांगी। प्रात: आरती के साथ मंदिरों में शंख और घंटियों की आवाज सुनाई देने लगी। दिनभर मंदिरों में भक्तों के पहुंचने का सिलसिला चलता रहा यही नही शहर के प्रसिद्ध मन्दिर तपेश्वरी देवी के परिसर में भोर पहर से ही भक्तों का आना शुरु हो गया जो दिन भर चलता रहा। वहीं छोटे-बडे देवी मन्दिरों में देवी दर्शन और पूजन के भक्तों का तांता लगा रहा जिससे वहां पर जयकारों से आसमान गुंजायमान हो उठा। भक्तों ने देवी के चरणों पर विभिन्न प्रकार की पूजन, सामग्री के साथ ही फल, फूल और मिष्ठान अर्पित किए।भक्तों ने मां जगदंबा का जयकारा लगाते हुए मां के शक्तिशाली स्वरूप के दर्शन किए और श्रीफल तथा चुनरी मां को अर्पित की।

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