संवाददाता।
कानपुर। पूरे यूपी को हिला कर रख देने वाला कानपुर बासमंडी अग्निकांड के 106 दिन बीत जाने के बाद अब व्यापारियों को आग से क्षतिग्रस्त टावरों को गिराए जाने की अनुमति मिली है। आग की चपेट में आने से कपड़ा बाजार के पांच टावर क्षतिग्रस्त हुए थे। अब तकनीकी विभागों की जांच के बाद दो टावरों को गिराए जाने की अनुमति मिली है। लेकिन व्यापारियों ने सरकारी विभागों की लापरवाही के आरोप लगाए हैं। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से किए जाने की बात कही है। सोमवार यानी 17 जुलाई से कोपरगंज स्थित कपड़ा बाजार के क्षतिग्रस्त दो टावर गिरने का काम दिल्ली की एक बड़ी कंपनी शुरू करेगी। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, उत्तर प्रदेश गारमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग एंड ट्रेडिंग और टावरों की कमेटी मिलकर आग से क्षतिग्रस्त टावरों को मिलकर गिरवाएगी। इसके लिए कमेटी के पदाधिकारी और व्यापारियों ने लगातार सरकारी विभागों के चक्कर काटे। 106 दिन की कड़ी मशक्कत और भागदौड़ के बाद अब उन्हें कोपरगंज स्थित कपड़ा बाजार के क्षतिग्रस्त दो टावर (मसूद कॉम्प्लेक्स और एआर टावर) सोमवार से गिराए जाएंगे। व्यापारियों को कहना है कि विभागों की लापरवाही के कारण टावर गिराए जाने की अनुमति मिलने में इतना वक्त लग गया है। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश महामंत्री ज्ञानेश मिश्रा ने बताया कि विभागों की लापरवाही के कारण टावर गिरने की अनुमति मिलने में 100 दिन से ज्यादा का समय लग गया। सबसे पहले नगर निगम कानपुर ने 331ए का नोटिस देने में काफी समय लगा दिया। यहां तक मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आदेश और कानपुर डीएम द्वारा निर्देश दिए जाने के बाद भी नगर निगम ने लगातार व्यापारी और कमेटी के सदस्यों को परेशान किया। भागदौड़ और मशक्कत के बाद 331ए का नोटिस नगर निगम ने दिया। इसके बाद केस्को विभाग ने भी बड़ी लापरवाही की है। कानपुर विद्युत विभाग केस्को द्वारा क्षतिग्रस्त टावरों में बनी दुकानों के बिजली के बिल अभी भी भेजे जा रहे हैं। इसको लेकर शिकायत भी की गई, लेकिन केस्को एमडी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। पीड़ित व्यापारियों पर बिना बिजली जलाए बिजली का बकाया भी चढ़ता जा रहा है। ऐसे में जब केस्को एमडी से बात की गई कि जिन टावरों को गिराया जाना है, वहां लगे बिजली के मीटर परमानेंट डिस्कनेक्शन करवाकर हटवा दिए जाएं। तो इसकी भी सुनवाई नहीं हुई। इसके कारण गिराए जाने वाले टावरों के समय को आगे बढ़ा दिया गया।उत्तर प्रदेश गारमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग एंड ट्रेडिंग के संरक्षक गुरजिंदर सिंह ने कहा कि अभी तक जिन सरकारी विभागों ने लापरवाही बरती है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की जाएगी। उन्होंने बताया कि कपड़ा बाजार में आग लगने के बाद सीएम योगी ने कई बार मिलने का समय दिया। उन्होंने मुलाकात भी की और अधिकारियों को मदद के लिए निर्देश भी दिए। लेकिन जिलाधिकारी के निर्देश के बावजूद भी नगर निगम और कानपुर विद्युत विभाग ने व्यापारियों का सहयोग नहीं किया। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से लिखित रूप से की जाएगी। गुरजिंदर सिंह ने बताया कि आग लगने के बाद जो टावर क्षतिग्रस्त हुए थे। जिलाधिकारी कानपुर से अपील की गई थी कि उनमें से दो टावर नफीस टावर और अर्जन कंपलेक्स कम क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसलिए उन्हें रिपेयर कराकर दोबारा शुरू किया जा सकता है। इसके बाद व्यापारियों का आग्रह मान लिया गया था। एचबीटीयू की जांच करने की फीस व्यापारियों ने जमा की। इसके बाद अब जांच में सामने आ गया कि नफीस टावर और अर्जन टावर को रिपेयरिंग कर दोबारा शुरू किया जा सकता है। दोनों ही टावरों में काफी हद तक रिपेयरिंग का काम हो भी चुका है। इन दोनों टावरों को जल्दी व्यापारियों के लिए शुरू किया जाएगा। आग के कारण जो टावर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे, उन टावरों में मसूद कंपलेक्स एआर टावर, हमराज कंपलेक्स और हमराज फेस-2 को गिराया जाना है। इनमें से मसूद कॉम्प्लेक्स और एआर टावर को गिराए जाने की अनुमति मिल गई है। गुरजिंदर सिंह ने बताया कि दिल्ली की कंपनी टीएसटी मैसर्स इंटरप्राइजेज के साथ मसूद कॉम्प्लेक्स और एआर टावर को गिराए जाने का अनुबंध किया गया है। टावर गिराए जाने को लेकर कई कंपनियों के इंटरव्यू लिए गए थे। इसके बाद TST कंपनी के साथ करार किया गया। कंपनी पहले भी कई बड़ी कंपनियों के साथ काम कर चुकी है। जिसमें इंडियन ऑयल के साथ लगातार यह कंपनी काम करती है। इसलिए प्राथमिकता के तौर पर टावर गिरने का ठेका टीएसटी को दिया गया है। टीएसटी इंटरप्राइजेज कंपनी से तीन माह के भीतर दोनों टावर गिराए जाने का अनुबंध किया गया है। गुरजिंदर सिंह ने बताया कि टावर के अंदर बनी दुकानों में बचा हुआ माल और उनके कागजात व इलेक्ट्रॉनिक सामान व्यापारियों को वापस कर दिया जाएगा। इसके अलावा बिल्डिंग से निकलने वाला सारा मैटेरियल कंपनी को अनुबंध के मुताबिक दे दिया जाएगा। टावर तोड़ने वाली कंपनी टावर गिराने के लिए कोई शुल्क नहीं ले रही है। कंपनी से यह भी अनुबंध किया गया है, कि तोड़ने में लगने वाले कर्मचारी, इंजीनियरों का बीमा पहले से कर लिया जाए, क्योंकि कपड़ा कमेटी या भारतीय उद्योग व्यापार मंडल या टावरों के व्यापारियों की गिराए जाने के समय हादसा होने पर कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल और उत्तर प्रदेश गारमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग एंड ट्रेडिंग के साथ मसूद कॉम्प्लेक्स और और एआर टावर कमेटी के पदाधिकारी ने बताया कि दोनों टावर गिराए जाने के बाद एक साल के भीतर दोनों टावरों की बिल्डिंग तैयार करवा दी जाएगी। कमेटी के सदस्यों ने बताया कि मार्केट में जितनी दुकान हैं, उतनी ही दुकान तैयार करवाई जाएगी। दुकान के आकार को इस बार थोड़ा छोटा रखा जाएगा। व्यापारियों ने बताया कि मार्केट के नए टावर बनाए जाने में इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम पूरे हों। आग जैसी घटना के वक्त मार्केट में पर्याप्त स्पेस बना रहे। आग बुझाने जाने वाले संसाधनों का पूर्ण इंतजाम और उनके प्रयोग में किसी तरह की दिक्कत ना हो, इसका भी ख्याल रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि कपड़ा बाजार मार्केट के टावरों को बनवाने से पहले भी अलग-अलग कंपनियों से इंटरव्यू लिए जा रहे हैं। लखनऊ की बिल्डिंग बनाने वाली कंपनी से लगभग मार्केट के टावर बनाए जाने की बात तय हो चुकी है, लेकिन अब तक अनुबंध नहीं हुआ है। सोमवार यानी 17 जुलाई से क्षतिग्रस्त टावरों को गिराना शुरू किया जाएगा।