
संवाददाता।
कानपुर। नगर में मेडिकल कॉलेज के सीनियर डेंटिस्ट डॉ. अशरफ उल्लाह ने बताया कि ”प्रदेश में हर साल दाँतो के 10 प्रतिशत मरीज बढ़ रहे हैं। बहुत से बच्चे दांतों की समस्या से परेशान हैं। इसलिए बच्चों के जैसे ही दांत निकलने शुरू हों, उनकी देखरेख शुरू कर देनी चाहिए। नहीं तो, बच्चों की उम्र बढ़ने के साथ ही उनके दांतों की समस्या भी बढ़ती जाती है। दांतों की समस्याओं को कभी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।” बच्चों को सबसे ज्यादा फास्ट फूड और मैदा नुकसान कर रहा है। मैदा बच्चों के दांतों में चिपक जाता है। इस कारण धीरे-धीरे दांत सड़ने शुरू हो जाते हैं। यदि आपके दांत में मैदा जरा-सा भी लगा रहा, तो रात भर में उसमें कई तरह के इंफेक्शन होने के चांस रहते हैं। इसी तरह पाउडर वाला दूध होता है। जो बच्चे पाउडर वाला दूध पीते हैं, उनमें भी दांतों के सड़ने की समस्या अधिक होती है। पाउडर में शुगर की मात्रा अधिक होती है और अधिकतर बच्चे रात में दूध पीकर सो जाते हैं। पाउडर वाला दूध पीने के बाद वह बच्चों के दांतों में चिपक जाता है, जिसके कारण उनके दांत में कीड़े लग जाते हैं। यह कीड़ा दांतों को बहुत जल्दी खराब करता है। अगर शुरुआती दौर में दांतों को दिखा दिया जाए, तो उसे बचाया जा सकता है। यदि इसमें लापरवाही बरती, तो बच्चों के दांतों को उखाड़ना भी पड़ सकता है। 5 प्रतिशत परिजन ऐसे हैं, जो लापरवाही बरतते हैं। ऐसे बच्चों के दांतों को ऑपरेशन करके निकालना पड़ता है। उर्सला अस्पताल में बीते 3 महीने के अंदर 25 से अधिक बच्चों का ऑपरेशन करके दांत निकालना पड़ा है। उन्होंने बताया कि यदि बच्चों के दांतों को मजबूत बनाना है, तो उन्हें मैदे से बिल्कुल दूर रखें। इसके अलावा उन्हें मोटा अनाज जरूर दें। मोटे अनाज में जौ, मक्का, गेहूं, बाजरा की रोटी समय-समय पर खिलाएं। यह बच्चों के दांतों के साथ-साथ उनकी सेहत में भी काफी सुधार करता है। बच्चों को दूध पिलाने के बाद उन्हें कुल्ला जरूर कराएं। खास तौर पर रात में सोने से पहले बच्चों को ब्रश कराने की आदत डालें। ब्रश करने से दांतों में चिपके हुए हर प्रकार की चीजें दूर हो जाती हैं। यदि दांतों में किसी भी प्रकार की चीज चिपकी है, तो यह सड़न पैदा करती है। बच्चे के लिए सबसे बेहतर मां का दूध होता है। एक साल तक तो बच्चे को मां का दूध देना ही चाहिए। यदि बच्चा मां का दूध नहीं पीता है, तो भैंस या गाय का दूध पिलाएं। भैंस के 1 लीटर दूध में एक से डेढ़ लीटर पानी मिला लें। इसके बाद बच्चे को पिलाएं। यह दूध बच्चों को कभी नुकसान नहीं करेगा, बल्कि उसकी सेहत के लिए बेहतर होगा। बच्चों में बड़ों के मुकाबले कैविटी होने का खतरा ज्यादा रहता है। कैविटी में दांतों में सड़न होने लगती है। यह ज्यादा दिन तक रहती है, तो दांत कमजोर हो जाते हैं। कैविटी तभी होती है, जब बच्चों के दांतों में शुगर रह जाती है। शुगर जमा होने से धीरे-धीरे बैक्टीरिया दांतों में जमने लगते हैं और फिर बाहरी परत को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं। यदि कैविटी होना शुरू होती है, तो सबसे पहले दांतों में दर्द होना शुरू हो जाता है। दांतों पर सफेद और काले धब्बे पढ़ने लगते हैं। ठंडा पानी पीने से दांत पर झनझनाहट होती है और मसूड़ों में सूजन आ जाती है। यह जरूरी नहीं है कि शुगर से ही कैविटी होती है। कैविटी नमकीन खाने से भी हो सकती है। सफेद ब्रेड, चिप्स जैसे फूड आइटम भी कैविटी का एक बड़ा कारण है। इसमें बड़ी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है, जो कि बच्चों को ज्यादा नुकसान करता है। यह जितनी भी देर मुंह में रहता है, उतना ही दांतों को नुकसान पहुंचता है। इसीलिए बच्चों को फाइबर युक्त चीजें ज्यादा खिलानी चाहिए। जिस फल में फाइबर अधिक हो उसका सेवन कराना चाहिए। यह दांतों को हमेशा स्वस्थ रखने में मदद करता है।