September 8, 2024

संवाददाता।
कानपुर।
नगर में बजट न आने के कारण जेके कैंसर हॉस्पिटल की स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। करोड़ो की मशीनें खराब हो चुकी थी। जो किसी काम मे नही आ रही थी। जिससे मरीज़ों को बहुत ज्यादा परेशानी हो रही थी। इस खबर को दैनिक समाचार पत्र विश्ववार्ता ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसको प्रशासन ने संज्ञान में लेते हुए अस्पताल को दस लाख की पहली किस्त प्रदान की है। डीजीएमईं द्वारा 2 करोड़ की फ़ाइल को मंजूरी दे दी गयी है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अब अस्पताल में मरीजो को सुविधाएं प्रदान होंगी। नगर में जेके कैंसर अस्पताल इन दिनों खुद के इलाज के लिए तरस रहा है। यहां पर करोड़ों की लागत से लगी मशीनें मरम्मत मांग रही हैं। इस कारण लोगों को यहां पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। पूरे प्रदेश में जेके कैंसर हॉस्पिटल का शीर्ष स्थान है, लेकिन हॉस्पिटल में वर्तमान की हकीकत बिल्कुल अलग है। इस हॉस्पिटल में पूरे प्रदेश के लोग अपना इलाज कराने आते है। मामले को संज्ञान में लेने के बाद सबसे पहले सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने विधानसभा में जेके कैंसर हॉस्पिटल को लेकर एक याचिका डाली थी। इसके बाद राज्य मंत्री मयंकेश्वर सिंह ने संस्थान से बातचीत कर उनसे फाइलें मांगी। संस्थान के निदेशक एसएन प्रसाद ने उन्हें हकीकत से रूबरू कराया। फिर बाद में बजट पास हुआ। हॉस्पिटल में मौजूद इलाज के लिए प्रमुख मशीनें ही खराब है। जब यह मशीनें सही थी तो रोजाना 300 से 400 लोग लाभान्वित होते थे, मगर वर्तमान में अस्पताल बड़ी बुरी दुर्दशा से गुजर रहा है। अस्पताल में थेट्रोन 780, रेडियोथैरेपी और बाबाट्रॉन सेकेंड रेडियो थेरेपी मशीन ही काम कर रही है, जिसमें रोजाना डेढ़ सौ से अधिक मरीज लाभान्वित हो रहे हैं।अस्पताल प्रशासन की मानें तो 2022-23 सत्र में अस्पताल को एक भी रुपये बजट नहीं मिला। किसी तरह मशीनों को चलाया गया लेकिन 2023-24 का भी अभी तक कोई बजट नहीं आया था, जबकि हर साल एक करोड़ का बजट शासन द्वारा पास होता है। पिछले 2 सालों से बजट ना आने के कारण अस्पताल खुद बीमार हो चुका। जेके कैंसर हॉस्पिटल की ओपीडी में पूरे प्रदेश भर से रोजाना लगभग 200 मरीज आते हैं। इन मरीजों की अगर जांच करानी होती है तो इनको पहले किसी अन्य अस्पताल में रेफर किया जाता है। वहां से जांच कराने के बाद मरीज फिर वापस जेके कैंसर आता है। इसमें मरीजों का समय बहुत बर्बाद होता है। खासतौर से अन्य जिलों से आने वाले मरीजों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।जितने भी मरीजों को जांच करानी होती है उन्हें कानपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया जाता है। मरीजों को एक एक्सरे कराने के लिए कम से कम 3 से 4 घंटे का समय लग रहा है। यहां पर आने वाले तीमारदार और मरीज दोनों ही परेशान हो जाते हैं। अधिक लोड पड़ने के कारण कानपुर मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था भी चरमरा रही है। जेके कैंसर हॉस्पिटल की मशीनें पिछले नौ माह से बंद पड़ी है। सबसे पहले एक्स रे मशीन खराब हुई। इसके बाद सीटी स्कैन, एमआरआई फिर कोबार्ट, इसके बाद ब्रैकी थेरेपी की मशीन खराब हुई। यहां पर सभी कमरों में ताले पड़े हुए हैं। मशीनों पर धूल की परत जमी है। जेके कैंसर हॉस्पिटल 106 बेड का हॉस्पिटल है, जिसमें लगभग 60 नर्सों की जरूरत है। लेकिन यहां पर मात्र 20 पोस्ट हैं, जिसमें से केवल 7 पोस्ट ही भरी है। इसके अलावा चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा की ओर से ग्रेड 3 में 34 पद है लेकिन 18 लोगों की भर्ती की गई है। 16 पद खाली है। वहीं, चिकित्सा शिक्षा की ओर से 20 पद है, जिसमें कि 12 पद भरे हैं। 8 पद अभी भी रिक्त है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की बात करें तो 64 पद में मात्र 28 पदों पर लोग तैनात हैं। 36 पद खाली पड़े हैं। सीनियर डॉक्टर के 14 पद है। इन 14 पद में डॉक्टरों की भर्ती पूरी हैं। जेके कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. एसएन प्रसाद ने बताया की डायरेक्टर जनरल मेडिकल एजुकेशन को और शासन को पत्र लिखा जा चुका है। जल्द ही बजट आने की उम्मीद है। जैसे ही बजट आएगा मशीनों का मेंटेनेंस करा कर लोगों को उसका लाभ दिया जाएगा। हॉस्पिटल के अंदर लगभग 3 से 4 करोड़ की लागत से इन मशीनों को लगाया गया था।

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