संवाददाता।
कानपुर। नगर में सीएसजेएमयू में चल रहे शिक्षा मंथन- 2023 के दूसरे दिन रविवार को जोधपुर एम्स के बाल रोग विभाग के एचओडी प्रो. कुलदीप सिंह भी शामिल हुए। उन्होंने पत्रकार वार्ता में बताया कि छोटे-छोटे बच्चे आज के समय में मोबाइल का बहुत ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं, जिसके कारण वह मानसिक तनाव वाला जीवन जी रहे हैं, जो कि उनके लिए बहुत ही खतरनाक है। मोबाइल के दुष्प्रभाव बच्चों में बहुत अधिक देखने को मिल रहे हैं। हमें जरूरत है उन्हें जागरूक करने की, मगर इससे पहले जरूरत है माता-पिता को जागरूक बनने की। परिजनों को कुछ ऐसा करना चाहिए कि बच्चों के हाथ में 5 साल से पहले मोबाइल ना आए। इसके लिए जरूरी है कि हम उन्हें फिजिकल एक्टिविटी की तरफ आकर्षित करें। यदि हम उनके साथ फिजिकल एक्टिविटी को करते हैं तो उनको और अधिक मजा आएगा। इससे उनका शरीर स्वस्थ रहेगा और मोबाइल से भी दूर रहेंगे। इसलिए माता-पिता को बच्चों के साथ एक्टिविटी में हिस्सा लेना चाहिए। यह बच्चे को मानसिक रूप से मजबूत भी बनाएगा और उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। मोबाइल ने बच्चों के आइक्यू में भी अंतर ला दिया है। आमतौर पर बच्चों का आईक्यू 110 था जो अब 80-90 रह गया है। यहां तक की छोटे बच्चों में बीपी की समस्या भी बढ़ रही है। आजकल के बच्चों के दिमाग में समझने की क्षमता बहुत कम हो रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि बच्चे दिन भर मोबाइल में लगे रहते हैं। यदि बच्चों के हाथ से मोबाइल छूटता है तो आजकल स्मार्ट टेलीविजन आ गए हैं। इसका भी बहुत गलत प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। साथ ही साथ बच्चों की बॉडी भी कमजोर हो रही है। कई बच्चे ऐसे भी आ रहे हैं जो कि बचपन से ही सिर दर्द की समस्या को झेल रहे है। प्रो. कुलदीप सिंह ने कहा कि 1 साल के बच्चों को कम से कम 16 घंटे की नींद लेनी चाहिए। वहीं, 5 साल के ऊपर के बच्चों को 12 घंटे की और 10 साल के ऊपर के बच्चों को 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। मगर आजकल 10 साल से ऊपर के बच्चे 5 से 6 घंटे ही सो रहे हैं। उनका रात का समय सबसे ज्यादा मोबाइल प्रयोग करने में जा रहा है। इसके कई दुष्प्रभाव अब तेजी से सामने आ रहे हैं। बच्चे अब चिड़चिड़ी होते जा रहे हैं। नींद भी पूरी नहीं हो रही है। आंखों की दिक्कत सबसे ज्यादा बढ़ गई है। उनकी हैंडराइटिंग में भी फर्क पड़ने लगा है। उनको बोलने में भी दिक्कत होती है। इसके अलावा जो सबसे बड़ा कारण है वह मानसिक तनाव में है। आप अपने बच्चों को बचपन से ही मिलेट्स से बने खाद पदार्थ खिलाना शुरू करें। इससे बच्चा काफी स्ट्रांग होगा। अगर बच्चे मिलेट्स नहीं खाते हैं तो उसे थोड़ा स्वादिष्ट बनाने का प्रयास करें। जैसे मिलेट्स का हलवा, मिलेट्स के बिस्किट जो कि बच्चों को काफी फायदा करेगा। याद रखें बच्चों को पैक्ड आइटम मत खिलाए, क्योंकि इससे बच्चों को बहुत ज्यादा नुकसान कर रहा है। यह किसी खतरनाक चीज से कम नहीं है। इन दिनों ओपीडी में देखा जाए तो पिछले 3 से 4 सालों के अंदर बच्चों में लिवर की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है, जिस बच्चे को लीवर की समस्या होती है फिर वह हर क्षेत्र में पिछड़ता जाता है। इसलिए शुरू से ही उनके खान-पान को मेंटेन रखना चाहिए। प्रोफेसर सिंह ने बताया कि जिन बच्चों को लीवर, किडनी की समस्या होती है उनके अंदर सबसे पहले फैट बढ़ने लगता है, जब सुबह सोकर उठते हैं तो आंखों में सूजन आ जाती है फिर इसके बाद पेट बढ़ता है और धीरे-धीरे पैरों में सूजन और दर्द की समस्या बढ़ जाती है।