संवाददाता।
कानपुर। नगर में वर्क प्लेस पर महिलाओं को क्या अधिकार मिले हैं, इसकी जानकारी ज्यादातर महिलाओं को नहीं होती है। इसको लेकर शनिवार को मर्चेंट चैंबर ऑफ उत्तर प्रदेश में फिक्की-फ्लो संस्था ने यौन उत्पीड़न की रोकथाम को लेकर व पीओएसएच नियमों की जानकारी को लेकर एक वर्कशॉप आयोजित की गई। वर्कशॉप में एक्सपर्ट व सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अमृता स्वरूप ने पीओएसएच कानून को लेकर जटिलताओं को बताने से लेकर यौन उत्पीड़न के संभावित खतरों के बारे में जानकारी दी। इसका उन्होंने समाधान भी दिया। बताया कि ये कानून पूरे देश में लागू है। 10 या अधिक कर्मचारियों को रोजगार देने वाली प्रत्येक कंपनी, कार्यस्थल, प्रतिष्ठान या संगठन पर लागू होता है। संस्था का आकार कुछ भी हो और चाहे उसमें महिला कर्मचारी हो अथवा नहीं, हर कंपनी को पीओएसएच कानूनों का पालन करना अनिवार्य है।उत्पीड़न पर जानकारी देते हुए बताया कि महिला कर्मी को डराने-धमकाने या आपत्तिजनक कार्य वातावरण, अपमानजनक व्यवहार से भी किसी महिला के स्वास्थ्य या सुरक्षा पर असर पड़ने की आशंका रहती है, जिसे संस्थान को ध्यान में रखना चाहिए। उत्पीड़न भेदभावपूर्ण, निजी, भौतिक, शक्ति, मनोवैज्ञानिक, ऑनलाइन, यौन, मौखिक या गैर-मौखिक तरह के हो सकते हैं। कार्यशाला में विशेष रूप से चैम्बर की वीमेन इंटरप्रेन्योर समिति की मानसी लोहिय, प्रिया रहेजा, स्नेहा गुप्ता, आकांक्षा श्रीवास्तवा, वीमेन इंटरप्रेन्योर समिति की महिला सदस्य, चैम्बर के सचिव महेंद्र नाथ मोदी समेत अन्य उपस्थित रहे।