स्मोकिंग कारण बन रहा है 85% कैंसर का
संवाददाता।
कानपुर। पूरे प्रदेश में फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अगर पिछले 5 सालों की बात करे तो कानपुर के जेके कैंसर इंस्टीट्यूट में ऐसे मरीजों की संख्या दहाई के अंकों में हुआ करती थी, लेकिन पिछले तीन सालों में तेजी से मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। हर वर्ष 25% से 30% मरीज बढ़ रहे है। साल 2021 की बात करते तो जेके कैंसर इंस्टीट्यूट में प्रदेश भर से करीब 131 मरीज फेफड़ों के कैंसर के आए थे। 2022 में यह आंकड़ा 217 तक पहुंच गया और 2023 में 290 मरीज उपचार के लिए आए। इन मरीजों में 85% मरीज ऐसे है, जिनको स्मोकिंग के कारण कैंसर हुआ है। कैंसर इस्टीट्यूट के डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि युवाओं में सिगरेट एक फैशन बन गया गया है जो कि सही नहीं है। डॉ. प्रमोद सिंह ने बताया कि पहले मरीज को कीमो और रेडियोथैरेपी के माध्यम से उपचार करते थे, लेकिन अब इसके साथ-साथ हम लोग टारगेट थैरेपी भी देने लगे हैं। इसका मरीज पर अच्छा परिणाम देखने को मिला है। डॉ. प्रमोद सिंह ने बताया कि 1 साल के अंदर लगभग ढाई सौ मरीजों को टारगेट थैरेपी दी गई है। इन मरीजों में अंतर देखा गया कि यह मरीज कीमोथेरेपी और रेडियोथैरेपी लेने वाले मरीजों के मुकाबले जल्दी रिकवर हो रहे हैं। इन मरीजों को रिकवर होने में लगभग 2 से 3 हफ्ते लगते हैं, जबकि अन्य मरीजों को कम से कम 4 से 6 हफ्ते लग जाते हैं। इसके अलावा टारगेट थैरेपी लेने वाले मरीजों में दर्द कम होता है और सांस फूलने की समस्या भी इनमें कम होती है। इनकी उम्र भी बढ़ जाती है।