संवाददाता।
कानपुर। नगर में मेडिकल कॉलेज में मंगलवार को फिजियोलॉजी विभाग की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें विभाग के रेजिडेंटस के लिए ईसीजी पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें ईसीजी की विभिन्न चीजों के बारे में बताया गया। साथ ही साथ यह भी बताया गया कि किस तरह से ईसीजी को करना सबसे अच्छा माना जाता है। एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी कानपुर के फैकल्टी डॉ. मोहित सचान ने पीजी छात्रों को ईसीजी के बारे में बताया। कार्यशाला एनएमसी के मानकों के अनुसार संचालित की गई जोकि विभाग के रेजिडेंस के प्रशिक्षण के लिए काफी आवश्यक थी। इसमें डॉ. सचान ने पीजी के छात्रों को ईसीजी का प्रशिक्षण दिया। इसके अलावा अन्य बीमारियों को कैसे पता लगाया जाए, इसके बारे में भी बताया। उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान कई बारीकियों से छात्रों को अवगत कराया। कार्यशाला विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. डॉली रस्तोगी के नेतृत्व में कराई गई। डॉ. सचान ने छात्रों को बताया कि हम ईसीजी के माध्यम से हृदय से जुड़ी बीमारियों का आसानी से पता लगा सकते है। यदि ठीक तरह से ईसीजी नहीं किया गया तो कई बीमारियां छुप भी जाती है। इसलिए यह जांच काफी महत्वपूर्ण होती है। इसके लिए पूरी तरह से हमें प्रशिक्षित होना जरूरी है।उन्होंने बताया कि हृदय रोग के लक्षणों की जांच के लिए डॉक्टर आपको इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, जिसे ईकेजी या ईसीजी भी कहा जाता है, कराने का सुझाव देते हैं। यह एक परीक्षण है, जो छोटे इलेक्ट्रोड पैच के माध्यम से आपके दिल की विद्युत गतिविधि को रिकॉर्ड करता है, जिसे एक तकनीशियन आपकी छाती, बाहों और पैरों की त्वचा से जोड़ता है। डॉ. सचान ने बताया कि एक तकनीशियन आपकी छाती, हाथ और पैरों की त्वचा पर चिपकने वाले पैड के साथ 10 इलेक्ट्रोड लगाते हैं। इसके बाद परीक्षण के दौरान कंप्यूटर आपके हृदय से गुजरने वाले विद्युत आवेगों की ग्राफ पेपर पर एक तस्वीर बनाता है। इस ग्राफ से ही हम बीमारियों का पता लगा सकते हैं।