October 18, 2024

संवाददाता।
कानपुर।
नगर में जेईई मेंस का परिणाम मंगलवार को घोषित किया गया। इसमें कानपुर नगर के अरिहंत श्रीवास्तव ने 99.85 प्रतिशत अंक पाकर नगर में टॉप-10 में जगह बनाई है। अरिहंत के मामा मानस श्रीवास्तव भी इंजीनियर है। उन्हीं को देख कर अरिहंत ने भी इंजीनियरिंग करने का मन बनाया था। इस सफलता के बाद उन्होंने कहा कि अब किसी बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई करनी है। परिणाम घोषित होने के बाद कालरा शुक्ला क्लासेज के बाहर बच्चों ने ढोल की थाप पर रोड शो भी निकाला। पी रोड निवासी अरिहंत ने कहा कि परीक्षा देने के बाद मैंने जितने अंक सोचे थे, मुझे उतने अंक मिले है। इस बार परीक्षा बहुत सरल थी। उन्होंने अपने जूनियर को संदेश देते हुए कहा कि अगर सफल होना है तो आप सबसे पहले सोशल मीडिया का प्रयोग सीमित मात्रा में करें। खासकर इंस्टाग्राम का प्रयोग बिल्कुल न करें। क्यों कि आप का सबसे ज्यादा समय रील देखने में ज्यादा है। इसलिए आपको इसका प्रयोग तो बिल्कुल नहीं करना चाहिए। अरिहंत ने अपनी सफलता का श्रेय मां पूजा को दिया है। हर्ष नगर निवासी आदित्य कुकरेती ने 99.81 प्रतिशत अंक हासिल किए है। आदित्य ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां शालनी कुकरेती व शिक्षकों को दिया है। उन्होंने कहा कि यदि हम शिक्षकों के बताए रास्ते पर चलते है तो हमें सफलता जरूर मिलेगी। मैंने कोचिंग के अलावा करीब 5-6 घंटे सेल्फ स्टडी की है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई करते समय हमें अपने लक्ष्य को निर्धारित करना जरूरी है। नगर के कमल डे़गला के पुत्र देवांश ड़ेगला ने 99.47 प्रतिशत अंक प्राप्त कर शहर का गौरव बढ़ाया है। देवांश के पिता सीमेंट के कारोबारी है। परिवार में मां पूर्वा, बड़ी बहन पलक है। पलक बेंगलुरु से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है। देवांश ने बताया कि मैथ में रुचि होने के कारण इंजीनियर बनना पसंद किया। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के लिए कभी कोई समय निर्धारित नहीं होता । पढ़ाई जब तक आपका मन करें तब तक करनी चाहिए। बस अपने दिमाग को एकाग्र करने की जरूरत है। इटावा निवासी राहुल तोमर के बेटे एकलव्य प्रताप सिंह ने 99.75 प्रतिशत अंक हासिल किए है। एकलव्य ने कहा कि पढ़ाई करने के लिए हमें शेड्यूल बनाना जरूरी है। भले ही हम उस शेड्यूल को पूरी तरह से फॉलो न कर सकें, लेकिन फिर भी उसके हिसाब से करने का प्रयास करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। एकलव्य ने कहा कि मैं कानपुर में नाना-नानी के घर पर रहकर पढ़ाई करता था। इस सफलता के पीछे मेरी मां व नाना-नानी का श्रेय है। 

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