संवाददाता।
कानपुर। नगर में न्यू कानपुर सिटी में निर्माण को लेकर लगी रोक सुप्रीम कोर्ट न हटा दी है। मामले में पीड़ितों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यथास्थिति रखने के आदेश दिए थे। मामले में केडीए सुप्रीम कोर्ट चला गया था। जहां सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला केडीए के पक्ष में सुनाया और निर्माण कार्य कराने के आदेश दिए। बता दें कि केडीए द्वारा 27 साल से लटकी न्यू कानपुर सिटी योजना को रिलॉन्च किया है। करीब 700 करोड़ रुपए से इसे बसाया जा रहा है। इसके लिए 150 करोड़ रुपए प्रदेश सरकार ने भी दिए हैं। 153 हेक्टेयर में पूरी योजना बसाई जा रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यू कानपुर सिटी के विकास मामले में आवासीय कॉलोनियों के लिए वर्ष 1996 में जारी अधिसूचना के माध्यम से प्राधिकरण द्वारा अधिगृहित भूमि पर कानपुर विकास प्राधिकरण की निष्क्रियता के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को आगामी 16 अक्टूबर 2023 को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था। न्यू कानपुर सिटी के विकास के लिए दिनांक 9 अगस्त 1996 को जारी अधिसूचना के माध्यम से 7 गांवों से 464.6965 हेक्टेयर भूमि अधिगृहित की जानी थी। उक्त अधिग्रहण को विभिन्न व्यक्तियों द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई, जिससे 1999 में अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अनुमति याचिकाओं में भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1984 की धारा 6 के तहत अधिसूचनाओं के कुछ हिस्सों को रद्द कर दिया गया और धारा 5 ए के तहत याचियों को एक नया अवसर दिया गया। विशेष अपील के लंबित रहने के दौरान भूमि मालिकों को मुआवजा के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए कानपुर विकास प्राधिकरण से कई अनुरोध किए गए। परिणाम स्वरुप 2005 में अधिनियम की धारा 6 के तहत नई घोषणाएं जारी की गई, जिसमें नामकरण को न्यू कानपुर सिटी से बदलकर कानपुर विकास प्राधिकरण की आवासीय कॉलोनी कर दिया गया। इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई और उन अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया गया, जिनके संबंध में याचिकाएं दाखिल की गईं थीं। इसके बाद नई अधिसूचनाएं जारी की गई थी। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय और शीर्ष न्यायालय के समक्ष लंबित कार्यवाही के दौरान यथास्थिति आदेश लागू था। न्यू कानपुर सिटी योजना के तहत 7 गांवों का अधिग्रहण करने की मांग की गई थी, जिसे गैरकानूनी और मनमाने ढंग से कानपुर विकास प्राधिकरण की आवासीय कॉलोनी में बदल दिया गया और कुल 464.6965 हेक्टेयर में से 111.8468 हेक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया गया। शेष भूमि के संबंध में बताया गया कि वह निजी व्यक्तियों के कब्जे में है, जिन पर उनके द्वारा निर्माण किए गए हैं। इसके अलावा याची के अधिवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने नए कानपुर शहर के निर्माण और कानपुर विकास के लिए आवासीय कॉलोनी स्थापित करने की योजना के साथ कार्यवाही के लिए कानपुर विकास प्राधिकरण के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।