संवाददाता।
कानपुर। नगर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर ने कच्चा-मुक्त और कार्बन-न्यूट्रल कैम्पस बनाने के लिए लखनऊ छावनी परिषद के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका लक्ष्य एक स्केलेबल परिसर बनाना है। यह मॉडल 2070 तक भारत के नेट जीरो इमिशन प्राप्त करने के अनुरूप है। एमओयू पर कर्नल मयंक सुंदरियाल, कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई), लखनऊ और आईआईटी कानपुर में अनुसंधान और विकास के डीन प्रो. तरुण गुप्ता ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान ब्रिगेडियर संजीव कुमार (सीईएलजेड), मेजर अंकित कुमार (जीई ई/एम), अजितेश पांडेय, प्रो. जेजी राव, आईआईटी कानपुर के कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के प्रो. देबोपम दास, प्रो. राजीव जिंदल और प्रो. आकाश सी राय उपस्थिति रहे l आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. एस. गणेश ने कहा कि, “आईआईटी कानपुर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नवीन और सतत समाधान पेश करने में सबसे आगे है। संस्थान में हाल ही में स्थापित कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी इस दृष्टिकोण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लखनऊ छावनी परिषद के साथ यह साझेदारी नेट-जीरो लक्ष्यों और कार्बन न्यूट्रैलिटी को आगे बढ़ाने की दिशा में एक और पहल है, जो न केवल एक विवेकशील विकल्प है, बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता भी है। समन्वित पहलों के माध्यम से, हमें विश्वास है कि यह हमें हमारे साझा उद्देश्य की ओर महत्वपूर्ण रूप से प्रेरित करेगा।” आईआईटी कानपुर के अनुसंधान और विकास के डीन प्रो. तरुण गुप्ता ने कहा, “आईआईटी कानपुर और लखनऊ छावनी परिषद के बीच यह सहयोग जलवायु परिवर्तन से लड़ने के वैश्विक प्रयासों का समर्थन करता है, जो एक स्थिर, सतत भविष्य बनाने के समर्पण के साथ हमारे विकास पथ को संरेखित करता है। कर्नल मयंक सुंदरियाल, कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई), लखनऊ ने कहा, “यह एमओयू लखनऊ छावनी परिषद की प्रगतिशील दृष्टि को दर्शाता है, जो सतत भविष्य के लिए नवीन समाधान अपनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आईआईटी कानपुर के साथ यह सहयोग और इसकी शैक्षणिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने से परिवर्तनकारी पहल का मार्ग प्रशस्त होगा।