संवाददाता।
कानपुर। जब से देश में नई शिक्षानीति लागू हुई है तब से देश विकास की ओर बढ़ रहा है। युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिल रहे है, जिस तरह से भगवान राम को पुरुषोत्तम राम बनाने में उनके गुरु का हाथ था। उसी तरह देश को शिक्षित करने में सभी शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। यह बातें शुक्रवार को विश्वविद्यालय के रानी लक्ष्मीबाई आडिटोरियम में महाविद्यालय/विश्वविद्यालय शिक्षकों के अखिल भारतीय संगठन का वार्षिक अधिवेशन के दौरान उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कही। उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा का स्तर अब काफी ऊपर उठ चुका है। शिक्षकों का कर्त्तव्य है कि वह अपनी पूरी ईमानदारी के साथ अपने काम करते चले। आज के युवा कल किसी न किसी क्षेत्र में अगर नाम रोशन कर रहे होंगे तो उसकी सफलता के पीछे सबसे बड़ा योगदान एक शिक्षक का होता है। बृजेश पाठक ने कहा कि राम मंदिर का भव्य निर्माण हो रहा है। हर व्यक्ति को वहां दर्शन करने जाना है, जो लोग राम मंदिर का विरोध कर रहे है, भगवान उनको सद्बुद्धि दें। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शिक्षक प्रतिनिधियों का उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि आप भारत के हृदय क्षेत्र में पधारे हैं और पवित्र-पक्ष में गंगातट पर होना आपके पुण्य-गौरव में श्री वृद्धि करें, यही मेरी शुभकामना है। शिक्षा और शिक्षक का राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र-कल्याण में असीमित और सार्वकालिक भूमिका होती है, प्रत्येक राज्य इनके योगदान के प्रति आदर रखता है। संभव है कि कभी आपकी अपेक्षाएं राज्य यथोचित रूप से पूर्ण न कर पाए लेकिन जब आप लोग राज्य के सीमित संसाधनों की ओर ध्यान देंगे, अन्य कल्याणकारी कामों की प्रतिबद्धता को समझेंगे तो वास्तविक स्थिति को भी समझेंगे। विधान परिषद सदस्य अरूण पाठक ने कहा कि मैं स्वयं शिक्षक हूं और आपके दुख-दर्द को नजदीक से जानता-समझता रहा हूं। शिक्षा और शिक्षक दोनों को ही किसी शासन-प्रशासन से संचालित नहीं किया जा सकता है। इसीलिए शिक्षक को यथासंभव उपलब्ध सीमित संसाधनों में शिक्षादान तथा चरित्र-निर्माण दोनों ही करना पड़ता है। ऐसे अधिवेशनों के माध्यम से राष्ट्रीय संगठन अपने नीतियों और कार्यक्रमों से राष्ट्रीय जागरूकता का भाव प्रचारित करते हैं। कुलपति प्रो. विनय पाठक जी ने के सभी पदाधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे प्रदेश को और उसमें हमारे विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ इकाई को इस अधिवेशन को कराने का अवसर प्रदान किया। विश्वविद्यालय ने इस आयोजन की सूचना मिलते ही अपने परीक्षा कार्यक्रम को यथासंभव समायोजित कर दिया, जिससे कि हमारे शिक्षक और प्राचार्य अपनी तैयारी पूरी ऊर्जा और शक्ति से कर सकें। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. फेसब भट्टाचार्य ने संगठन के इतिहास पर चर्चा करते हुए कहा कि 1962 में इस संगठन की नीव वाराणसी के उदय प्रताप कालेज में रखी गयी थी। वहीं, के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. विवेक द्विवेदी ने कहा कि राष्ट्रीय संगठन के अधिवेशन के आयोजन का दायित्व मिलना, कूटा और फुपुक्टा दोनों के लिए गर्व की बात है। संगठन के महामंत्री प्रो० अरूण कुमार ने बताया कि इस अधिवेशन का कार्यक्रम 19 से 21 जनवरी तक चलेगा, इसमें विभिन्न प्रदेशों के एक हजार से अधिक शिक्षक प्रतिनिधि सहभागिता करेंगे। 20 व 21 जनवरी के कार्यक्रम ब्रह्मानन्द कालेज में सम्पन्न होंगे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अनिल यादव, प्रो. आरके द्विवेदी, फुपुक्टा अध्यक्ष प्रो. वीरेन्द्र सिंह चौहान, महामंत्री प्रो. प्रदीप सिंह, कूटा अध्यक्ष प्रो. बीडी पाण्डेय, महामंत्री प्रो. अवधेश सिंह, कृपा अध्यक्ष प्रो. अनूप सिंह, महामंत्री प्रो. बीके कटियार उपस्थित रहे।