संवाददाता।
कानपुर। नगर के नए पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने बीट पुलिसिंग व्यवस्था को मजबूती देते हुए इसे नए सिरे से लागू किया है। जिले में तैनात करीब 5000 हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल को रोजाना अपनी-अपनी बीट पर 250 लोगों से मुलाकात कर मोबाइल नंबर भी देने होंगे। वहीं हर 15 दिन में थानेदारों को क्षेत्र के संभ्रांत लोगों के साथ बैठक भी करनी होगी। पुलिस कमिश्नर ने बीट पुलिस ऑफिसरो को अहम जिम्मेदारियां भी सौंपी हैं। अभी तक निरोधात्मक और शांतिभंग की धाराओं में लोगों को पाबंद करने, कोर्ट के आदेशों की तामीली और जांच के अधिकार दरोगाओं के पास होते थे। लेकिन अब ये अधिकार बीट पुलिस अधिकारियों को दिए गए हैं। कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि इस व्यवस्था में पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखा गया है। बीपीओ की रिपोर्ट को स्वयं थानेदार भी जांच कर सकेंगे। सीपी ने बताया कि बीते दिनों आम लोगों से बातचीत के दौरान पता चला था कि उन्हें अपने बीट अधिकारी के बारे में कुछ नहीं पता। इसके बाद तय किया गया कि बीट पुलिस अधिकारी को लेखपालों की तरह ही सक्षम बनाया जाएगा। पुलिस कमिश्नर के मुताबिक सभी डीसीपी अपने जोन का आंकलन कर बीटें तय करेंगे। इसके बाद स्टाफ का समायोजन कर बीपीओ की नियुक्ति की जाएगी। हर बीट का एक लिंक अधिकारी भी तय किया जाएगा। हर बीपीओ हफ्ते में एक दिन थाने के रोजनामचे में रवानगी दर्ज कर बीट पर जाकर आम लोगों से मिलेगा। लोगों से सहमति मिलने के बाद साफ सुथरी छवि के 250 लोगों का एक व्हॉट्सएप ग्रुप भी बनाया जाएगा। पुलिस कमिश्नर ने निरोधात्मक कार्रवाई, शांतिभंग कार्रवाई का अधिकारी बीपीओ को दिया है। बीट पुलिसिंग 15 जनवरी से प्रभावी हो जाएगी। हर बीपीओ का नाम, नंबर और क्षेत्र सी-प्लान एप पर मौजूद होगा। बीट पुलिसिंग के बाद मोहल्ला व ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा समितियां भी बनाई जाएंगी।