संवाददाता।
कानपुर। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नए साल पर पुलिस विभाग में फेरबदल किया है। मंगलवार सुबह 7 आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर किए हैं। इनमें सबसे अहम नाम कानपुर के पुलिस कमिश्नर आरके स्वर्णकार का है। 1996 बैच के आईपीएस आरके स्वर्णकार का 4 महीने में ही तबादला कर दिया गया। उन्हें सीतापुर में ऑर्म्ड पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज का एडीजी बनाया गया है। कानपुर पुलिस की कमान 1994 बैच के अखिल कुमार को सौंपी गई है। उन्हें नया कमिश्नर बनाया गया है। अखिल कुमार 2005 में डकैत निर्भय गुर्जर के एनकाउंटर से चर्चा में आए थे। वह उस वक्त एसटीएफ में थे। कानपुर में 25 मार्च 2021 को कमिश्नरेट बनाया गया था। स्वर्णकार चौथे पुलिस कमिश्नर थे। जिनका कार्यकाल सबसे कम रहा है। इसके पहले, असीम अरुण, विजय मीणा और बीपी जोगदंड पुलिस कमिश्नर रहे हैं।इसके अलावा, मेरठ के एडीजी जोन राजीव सभरवाल को एडीजी डॉ. बीआर अंबेडकर एकेडमी मुरादाबाद बनाया गया है। उनकी जगह पर ध्रुवकांत ठाकुर को मेरठ जोन की कमान दी गई है। राजीव सभरवाल की वर्किंग को लेकर कई बार सवाल उठे। उनके नाम से कुछ व्हाट्सएप चैट भी वायरल हुए, जिसकी जांच डीजीपी मुख्यालय और इंटेलिजेंस यूनिट ने कराई थी। हालांकि, इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। वहीं, अशोक कुमार सिंह को डीजीपी मुख्यालय से पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड का एडीजी बनाया गया है। सुजीत पांडेय को सीतापुर से अपर पुलिस महानिदेशक पीएसी लखनऊ में तबादला हुआ है। एडीजी जोन गोरखपुर की जिम्मेदारी डॉ. केएस प्रताप कुमार को दी गई है। केएस प्रताप एडीजी उत्तर प्रदेश लखनऊ शाखा में लंबे समय से तैनात थे। बीते दिनों पीएसी स्थापना के दौरान उनकी कार्यशैली की तारीफ सीएम योगी ने भी की थी। इसके बाद से उनकी नई तैनाती को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई थी।आईपीएस डॉ. आरके स्वर्णकार ने 21 अगस्त 2023 को कानपुर पुलिस कमिश्नर का चार्ज संभाला था। सबसे पहले उन्होंने कानपुर पुलिस कमिश्नर ऑफिस में बने प्रेस रूम को रातों-रात आगंतुक कक्ष बना दिया। इसके विरोध में मीडिया ने पुलिस कमिश्नर ऑफिस का घेराव और हंगामा किया तो उसे फिर से रिस्टोर किया गया।इसके बाद मिडिएशन सेंटर में वकीलों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। मिडिएशन सेंटर के बाहर 16 दिसंबर को नोटिस चस्पा कर दिया गया था कि यहां वकीलों का प्रवेश वर्जित है। इसके बाद वकीलों ने कानपुर पुलिस कमिश्नर दफ्तर का घेराव और हंगामा किया था। तब जाकर पुलिस कमिश्नर ने वकीलों के प्रवेश पर लगी रोक को हटाया था। डॉ. आरके स्वर्णकार के कार्यकाल के दौरान कानपुर में दरोगा और इंस्पेक्टर के ट्रांसफर-पोस्टिंग की पारदर्शिता पर भी सवाल उठे थे। कानपुर कमिश्नर की शब्बीर नाम के व्यक्ति के साथ फोटो वायरल हुई थी। शब्बीर पर एक इंस्पेक्टर से शहर के सबसे अहम थाने में पोस्टिंग के लिए 8 लाख रुपए लेने का आरोप लगा था।हालांकि, बाद में इंस्पेक्टर का ट्रांसफर प्रयागराज हो गया। इंस्पेक्टर की पत्नी ने शब्बीर के घर पर हंगामा किया और डॉयल-112 पर शिकायत की थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शब्बीर ने आधी रकम 4 लाख रुपए वापस की थी। इसी बीच, जज के नाम पर एक व्यक्ति से 1 लाख रुपए वसूली में शब्बीर फंस गया और उसे जाजमऊ थाने की पुलिस ने अरेस्ट करके जेल भेज दिया था। कानपुर के नए कमिश्ननर बनाए गए अखिल कुमार केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर थे। केंद्र से लौटते ही अखिल कुमार का गोरखपुर जोन के बाद अब कानपुर पुलिस कमिश्नर बनाया गया है। लखनऊ, गोरखपुर के साथ ही गाजियाबाद के एसएसपी रहे अखिल कुमार लंबे समय तक एसटीएफ में भी रहे हैं। एसटीएफ में तैनाती के दौरान अखिल कुमार की टीम ने 2005 में बड़ा ऑपरेशन चलाकर डकैत निर्भय गुर्जर का एनकाउंटर किया था। राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित अखिल कुमार ने रणजी ट्राफी क्रिकेट में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है।