संवाददाता।
कानपुर। नगर में तलाक के बाद पत्नी ने 10 साल तक बेटी को उसके पिता और दादी से मिलने नहीं दिया। फिर हफ्ते भर पहले ही 14 वर्षीय बेटी शिफा नूर उर्फ जैनब की अचानक संदिग्ध अवस्था में मौत हो जाती है। बताया गया कि उसका शव फांसी पर लटकता मिला था। फिर मां ने बिना पुलिस और पिता को सूचित किये, अपने मायके वालों के साथ मिलकर, चुपचाप बेटी के शव को बाकरगंज के बेगमपुरवा कब्रिस्तान में दफना दिया। पूरा मामला बाबूपुरवा थानाक्षेत्र का है यहाँ की निवासी खुर्शीद अहमद और उनकी मां ज़हीरूल निशा ने बताया कि जब बेटी की मौत की सच्चाई पता करने को फरियाद लेकर एडीसीपी साउथ आफिस पहुंचे तो उनसे कह दिया गया कि ‘‘क्या पुलिस तुम्हारे यही काम करने को फुर्सत में बैठी है..!’’ जैसे कि पुलिस को पता ही नहीं कि फांसी से मौत पर पुलिस को सूचित कर पोस्टमार्टम आवश्यक है, वो भी तब जब परिजन मौत के संदिग्ध होने का आरोप लगा रहे हों…। वहीं अब प्रार्थना पत्र देने के बाद मृत किशोरी के पिता और बूढ़ी दादी को बाबूपुरवा और नौबस्ता थाने के बीच दौड़ाया-टरकाया जा रहा है। 2013 में तलाक के बाद उनकी पूर्व पत्नी फरहा यासमीन मछरिया में कहीं रह रही थी। वो अक्सर मकान बदला करती थी। चूंकि उसने उन्हें या किसी घरवाले को बेटी से कभी मिलने नहीं दिया, मिलने की कोशिशों पर पुलिस कार्रवाई करने की धमकी दी…इसलिये उन्हें पता मालूम ही नहीं। फिर बेटी की मौत के बाद पत्नी फरहा यासमीन ने शव को भी बाबूपुरवा के बेगमपुरवा कब्रिस्तान में ही दफनाया। कब्रिस्तान के रजिस्टर में पता भी बाबूपुरवा के बाकरगंज स्थित मायके का ही लिखवाया। पुलिस की अनसुनी पर आईजीआरएस आवेदन किया। एप्लीकेशन बाबूपुरवा पुलिस को फारवर्ड की गई। लेकिन बाबूपुरवा पुलिस खुद मछरिया स्थित पूर्व पत्नी का एड्रेस और घटना स्थल खोजने के बजाये पीड़ितों को बुलाकर नौबस्ता पुलिस को एप्लीकेशन देकर आने का दबाव बना रही है। कहा जा रहा है कि घटना स्थल नौबस्ता का है। उधर नौबस्ता जाने पर पुलिस पीड़ित को वापस बाबूपुुरवा थाने टरका रही है, क्योंकि पीड़ित का निवास बाबूपुरवा थानाक्षेत्र में है और बेटी के शव को भी वहीं दफनाया गया।