November 22, 2024

संवाददाता।
कानपुर।
नगर में आज गंगा समग्र के सहायक नदी एवं शिक्षण संस्थान आयाम का अखिल भारतीय अभ्यास वर्ग सरसैया घाट कानपुर के गोकुल प्रसाद धर्मशाला में संपन्न हुआ।  23 एवं 24 दिसंबर 2023 को इस राष्ट्रीय अभ्यास वर्ग में दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, उत्तरांचल सहित कई प्रांतों से गंगा समग्र से जुड़े राष्ट्रीय पदाधिकारी उपस्थित रहे।गंगा समग्र के देश भर से आए डेढ़ सौ से अधिक प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए गंगा समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष ने कहा कि गंगा समग्र के 15 आयाम में से दो आयाम सहायक नदी और शिक्षण संस्थान पर चर्चा के लिए हम सभी यहां एकत्रित हुए हैं। रामाशीष ने कहा कि गंगा जी देश में कुल मिलाकर 2525 किलोमीटर की दूरी तय करती हुई उत्तराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरबन तक विशाल भूभाग को सींचती है। यह सहायक नदियों के साथ 10 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक उपजाऊ मैदान बनती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण गंगा जी का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। सहायक नदियों के विषय में उन्होंने कहा कि गंगा बेसिन में पूरा तिब्बत बांग्लादेश, नेपाल और भूटान सहित भारत के उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, बंगाल, झारखंड और संपूर्ण हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अधिकांश हिस्से आते हैं। यहां बहने वाली छोटी बड़ी नदियों का जल अंत में गंगा जी में ही मिलता है अतः यह नदियां गंगा जी की सहायक नदियां हैं। उसमें से प्रमुख अलकनंदा, रामगंगा, काली नदी, पांडू, यमुना, गोमती, सरयू, सोन, गंडक, कोयल, महानंदा और कोसी आदि हैं। दक्षिण के पठार से आकर इसमें मिलने वाली प्रमुख नदियां चंबल, बनास, सोन, बेतवा के दक्षिणी टोस आदि हैं। गंगा की निर्मलता और अविरलता में सहायक नदियों की अत्यंत प्रभावी भूमिका है। अतः गंगा जी को निर्मल और अविरल रखने के लिए सहायक नदियों को भी निर्मल और अविरल रखना अति आवश्यक है। गंगा समग्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह ने कहा कि वरीयता के क्रम में जिन सहायक नदियों पर नगर निगम, नगर पालिका और औद्योगिक इकाइयां बने हैं वहां-वहां प्रथम वरीयता के आधार पर कार्य प्रारंभ किया जाना चाहिए। गंगा सहायक नदियों को भी गंगा ही मानते हुए धीरे-धीरे सभी आयाम विकसित और प्रभावित करने चाहिए। सहायक नदियों के दोनों तरफ उनके बाढ़ क्षेत्र के अंदर आने वाले गांव भी गंगा ग्राम मानकर कार्य करना चाहिए। वर्ग में तय किया गया कि प्रत्येक सहायक नदी के लिए समिति बनाई जाएगी और उसे नदी का व्यापक सर्वेक्षण करके पत्रक तैयार किए जाएंगे जिनमें नदी का उद्गम, संगम, लंबाई, पड़ने वाले धार्मिक स्थल, पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व, आर्थिक महत्व और वर्तमान की स्थिति इन सभी बिंदुओं को सम्मिलित किया जाएगा। उन नदियों की एक यात्रा निकाली जाएगी। जगह-जगह सभाएं होगी जिससे उन कार्यों के लिए जन जागरण हो सके। इसी क्रम में नदियों को अवैध कब्जे से मुक्त कराकर गहरा कराए जाने की भी योजना है। नदियों के किनारे वृक्षारोपण किया जाएगा और इनमें गिरने वाले गंदे नालों और सीवर को बंद करने के प्रयास किए जाएंगे। गंगा समग्र ने शिक्षण संस्थाओं में अपने देश के भविष्य, ऊर्जावान किशोर और तरुणो को एक पूंजी के रूप में लिया है। वह सभी नई बातों को जानना और करना चाहते हैं। यदि नदियों और जल के विषय से इनको अवगत कराया जाएगा तो समाज में बहुत जागृति आएगी। तय किया  गया कि इनको जागरूक किया जाएगा। प्रमुख रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघ चालक भवानी भीख तिवारी, गंगा समग्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विश्वनाथ खेमका, संयुक्त महामंत्री ललित कपूर, क्षेत्र संपर्क प्रमुख सुरेश चंद्र के साथ-साथ राष्ट्रीय राष्ट्रीय मंत्री रामाशंकर सिन्हा व अवधेश कुमार गुप्त, प्रांत संयोजक राजेश तिवारी, विजय राज, सूर्य प्रकाश, राजेंद्र दुबे, हनुमान, संतोष, राजेंद्र वर्मा, मार्शल आदि उपस्थित रहे। 

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