November 22, 2024

संवाददाता।
कानपुर। नगर में मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉक्टरों ने एक जटिल ऑपरेशन कर के दिखा दिया। यहां नौ महीने की गर्भवती महिला के बच्चेदानी के रास्ते में करीब 1 किलो का ट्यूमर था। ऐसे में डिलीवरी होना लगभग असंभव था। ऐसे में डॉक्टर ने डिलीवरी का दूसरा रास्ता बनाया और यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा। डॉक्टर के सामने कई चुनौतियां थी। उन सभी चुनौतियों को पार करते हुए महिला चिकित्सकों ने एक बड़ा ऑपरेशन किया है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सीमा द्विवेदी ने बताया कि चमनगंज निवासी 31 साल की एक महिला छह महीने पहले गर्भवती होने पर दिखाने के लिए आई थी। इस दौरान जब उसका अल्ट्रासाउंड किया तो पता चला की बच्चेदानी के रास्ते में बड़ा सा ट्यूमर है। पहले कभी यह ट्यूमर छोटा रहा होगा लेकिन वह पता नहीं चला। महिला का पहला बच्चा भी ऑपरेशन से ही हुआ था। इसलिए थोड़ी मुश्किलें ज्यादा थी। ऐसे में बच्चे और मां दोनों को बचाना था, तो पूरे 9 महीने तक हमने उसका इलाज किया। फिर टीम के साथ मिलकर इस ऑपरेशन को सफल किया। टीम में डॉ. सीमा द्विवेदी के साथ डॉ. प्रतिमा वर्मा और डॉ. मोनिका चौहान भी शामिल थीं। डॉ. सीमा द्विवेदी के मुताबिक जब भी कभी गर्भवती महिलाओं में ट्यूमर पाया जाता है तो पहले हम लोग उसकी डिलीवरी कराते हैं, फिर इसके बाद दोबारा ऑपरेशन करके ट्यूमर निकलते हैं। ट्यूमर को निकलते समय रक्त स्राव अधिक होता है। इसलिए पहले फोकस बच्चों को बचाने में करते हैं तो आम तौर पर ऐसे में दो बार ऑपरेशन करना पड़ता है। लेकिन इस महिला में एक बार के ऑपरेशन में ही दोनों चीज सफल हो गई। डॉक्टर के मुताबिक जिस रास्ते से डिलीवरी होनी थी उस रास्ते में ट्यूमर होने के कारण डिलीवरी का दूसरा रास्ता चुना गया। ऐसे में बच्चेदानी के ऊपरी हिस्से में जाकर कनाई को काटकर फिर बच्चे को उल्टा ही बाहर निकलना पड़ा, जो कि ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती थी। लेकिन जब बच्चा सुरक्षित बाहर आ गया तो इसके बाद फिर सारी नसों को हम लोगों ने सबसे पहले बांध दिया, ताकि रक्त का स्राव अधिक ना हो सके। इसके बाद ट्यूमर को बाहर निकाला तो ऐसे में रक्त स्राव भी अधिक नहीं हुआ। बच्चा भी सुरक्षित रहा और ट्यूमर भी निकल आया। डॉ. सीमा द्विवेदी ने बताया कि इस ऑपरेशन में हम लोगों के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौती थी। पहले यह था कि ब्लीडिंग होने से बचाना, दूसरा बच्चे को सुरक्षित निकालना और तीसरा बच्चेदानी को भी बचाना था। इन चुनौतियां को पार करने के बाद यह ऑपरेशन सफल रहा है। डॉ. सीमा के मुताबिक महिलाओं में ट्यूमर की समस्या तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि कीटनाशक दवाइयां का प्रयोग हर सब्जियों में किया जा रहा है। इसका असर यह हो रहा है कि महिलाओं में ट्यूमर जैसी समस्या बढ़ गई है। एक साल में लगभग 500 से अधिक ट्यूमर के मरीज हॉस्पिटल आए हैं। इनमें से 70 मरीज ऐसे थे, जिनका ऑपरेशन कर बच्चेदानी तक हटाने की नौबत पड़ गई। इनमें से पांच अविवाहित लड़कियां भी शामिल हैं। डॉक्टर के मुताबिक कीटनाशक दवाइयां के कारण ऑर्गेनोफॉस्फोरस कंपाउंड शरीर के अंदर पहुंच जाता है और फिर यह एस्ट्रोजन हार्मोन की कॉपी करके इसकी अधिकता को बढ़ा देता है। इस कारण पेट में ट्यूमर की समस्या बढ़ जाती है। यही कारण है कि किशोरियों में पॉलिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के कारण महावारी में दिक्कत, मोटापा बढ़ना और अन्य समस्याएं अब ज्यादा होने लगी हैं। 

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