एपेक्स की हंगामेदार बैठक के बीच कई समर्थकों ने की अपील
बीच बैठक में झांसी के ही दूसरे गुट ने डाल दिया लंगर
कानपुर/झांसी । उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के संस्थापक सदस्यों में रहे सिंहानिया परिवार के हाथों में एक बार फिर से उसकी कमान हो ऐसी अपील उनके कई समर्थकों ने एक बैठक के दौरान की। झांसी में सम्पन्न एपेक्स की हंगामेदार बैठक में सिंहानियां परिवार के समर्थकों ने कई मुददों पर पूर्व सचिव और उनकी टीम को घेरने का काम किया। इसी बीच बैठक में झांसी के ही दूसरे गुट ने डाल दिया लंगर डाल दिया जिसपर भी थोडी देर तक हंगामा चलता रहा। यूपीसीए सूत्रों के मुताबिक एपेक्स कमेटी की महिला सदस्य अर्चना मिश्रा के सवालों का जवाब पूर्व सचिव राजीव शुक्ला और युद्धवीर सिंह देने में असहज नजर आए।यही नही सूत्र बतातें है कि एपेक्स काउंसिल पर अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए एक घंटा पूर्व संघ के सभी निदेशकों की बैठक एक बन्द कमरे में सम्पन्न हुई ताकि उनके द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रमों पर अपने साये में सभी प्रस्ताव पर एपेक्स की बैठक पर मुहर लगाई जा सके। एपेक्स कमेटी सदस्य अर्चना मिश्रा के मुताबिक यूपीसीए के लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है की अधिकतर सदस्य आज भी राजीव शुक्ला ,अकरम सैफी और युद्धवीर सिंह के आदेशों का इंतजार करते हैं।उन्होंने बताया कि सभी निदेशक बैठक के बाद चुपचाप मीटिंग हाल से बाहर चले गए और किसी से कोई चर्चा तक नही की और न ही उनके अभिवादन का जवाब दिया। एपेक्स काउंसिल की बैठक में शामिल होकर 31 बिंदुओ पर सभी का ध्यान आकर्षित किया जिसमे यूपीसीए में हो रहे गंभीर हालात के मुद्दो पर भी आवाज उठाई गयी। उत्तर प्रदेश के पूर्व खिलाड़ियों के लिए पेंशन का मुद्दा उठाया गया जिस पर सभी ने गंभीरता दिखाते सभी खिलाडियों को पेंशन दिए जाने पर सहमति जताई। उन्होंनें बैठक के दौरान सेलेक्शन कमेटी के उपर कमेटी बनाने का भी विरोध दर्ज कराते हुए कहा जब सेलेक्टरो पर संघ के आला अधिकारियों को ही भरोसा नहीं है तो क्यों न उनको बदल दिया जाए सेलेक्शन में हो रहा भ्रष्टाचार तो रुक सके। उन्होंने सभी फॉर्मेट की टीमों के साथ 15 से 18 की जगह 22 से 28 सदस्यों के चयन पर सवाल उठाया जिसपर कोई जवाब नही मिल सका। महाप्रबंधक रीता डे द्वारा जारी उनके चरित्र उत्पीडन के आडियो प्रकरण के सवाल पर उन्हें मामले को अनुशासन समिति के पास भेजे जाने का जवाब दिया गया। उसका निर्णय बता दिया जाएगा इस पर जब पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नही दिया परंतु अंतिम जवाब राजीव शुक्ला और युद्धवीर सिंह की सहमति पर छोड़ दिया गया। रीता डे प्रकरण पर वह बिफर गयी और कहा कि अगर 15 दिसंबर तक निर्णय नहीं लिए गए तो वह पुलिस में एफआईआर करने के लिए विवश होंगी।
जब उन्होंने खिलाड़ियों और यूपीसीए में फैले भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया तो उन्हे बोलने से रोक दिया गया और माइक बंद कर आनन फानन में वोट ऑफ थैंक्स दे कर मीटिंग को समाप्त कर दिया गया गया। बैठक का सबसे महत्वपूर्ण मुददा यह रहा कि सोशल मीडिया और प्रेस में यूपीसीए पर उठाए गए सवालों पर सभी मेंबर असहज नजर आए और बोले की इतने डर के साए में मीटिंग करना बहुत मुश्कित है। बैठक में जेके के समर्थक सदस्यों ने आवाज उठायी कि संघ की कमान एक बार फिर से सिंहानिया परिवार के हाथों में दे दिया जाए जिससे संघ में पारदर्शिता कायम हो और भ्रष्टाचार को रोका जा सके।