November 22, 2024


कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ की महिला क्रिकेट महाप्रबन्धक रीता डे के खिलाफ हाल ही में आईसीए सदस्य ने अपने चरित्र उत्पीडन को लेकर मोर्चा खोंला था। उनकी सभी कार्यो में हस्त‍क्षेप से पीडित एक और पूर्व एपेक्स सदस्य ने उनके खिलाफ मोर्चेबन्दी शुरु कर दी है। पूर्व एपेक्स सदस्य इति चर्तुवेदी भी सभी पदाधिकारियों के पास उस महिला महाप्रबन्धक के खिलाफ कार्यवाई करने का प्रार्थना पत्र भेजने की तैयारी में है। पूर्व सदस्य का कहना है कि रीता डे महिला क्रिकेट की महाप्रबन्धक नियुक्त की गयी थी लेकिन वह अपना कार्य छोडकर क्रिकेट से जुडे हर मामले में फिर वो चाहे जूनियर महिला क्रिकेट से सम्बन्धित हो या फिर सीनियर, यही नही वह पुरूषों के टीम चयन और प्रशिक्षक और मैनेजर नियुक्ति के मामले में भी हस्तक्षेप आवश्यकता से अधिक करती हैं। पूर्व सदस्य की ओर से सभी आधिकारियों को यह बताने का प्रयास किया जाएगा कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की महाप्रबंधक कमला क्लब ,यूपीसीए कार्यालय ,डॉ गौर हरी सिंघानिया क्रिकेट एकेडमी, ग्रीन पार्क के साथ ही इकाना स्टेडियम में बतौर क्रिकेट प्रशासक हर जगह हर समय मौजूद क्यों मिलती हैं? यही नही अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी उनके मन मुताबिक काम नही करता तो वह उनको नौकरी से हटाने की बात कहते पीछे हटती नही दिखायी देती हैं। गौरतलब है कि महाप्रबन्धक का कार्य केवल कागजी कार्यवाही को अग्रसारित करने के लिए ही होता है लेकिन यूपीसीए की महाप्रबन्धक को इसका कतई भी अफसोस नही रहता। वह कभी मैदान पर टीम के साथ फोटो खिंचाते हुए दिखायी देती है तो कभी एक मैत्री मैच के आयोजन की जिम्मेदारी पूरी तरह से संभाले हुए। पूर्व सचिव की नजदीकियों के चलते कोई भी कर्मचारी या अधिकारी उनके खिलाफ एक भी शब्द बोलने की हिम्मत नही जुटा पा रहा है।हाल ही में जारी एक ऑडियो रिकॉर्डिंग के बाद यूपीसीए में मचे हड़कंप के बाद पूर्व खिलाड़ी ने महिला क्रिकेट की महाप्रबंधक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था | जिसपर यूपीसीए की अर्चना मिश्रा ने मीडिया में महाप्रबंधक द्वारा किए जा रहे नियम 38 का उल्लंघन का पूरा हवाला भी दिया था। उन्हों ने अपनेपत्र में इस बात की जिक्र किया है कि जिन नियमों की अनदेखी कर उनको महाप्रबंधक नियुक्त किया गया है वह उचित नही है। एक तो यह है कि कोई भी खिलाड़ी या पदाधिकारी जो उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ से पूर्व में पैसे लेते आ रहा हो वह वेतन भोगी नहीं हो सकता | रीता डे एक अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकी हैं कई वर्ष भारतीय टीम का हिस्सा भी रहीं और यूपीसीए की लाइफ़ टाइम मेम्बर भी हैं। वर्तमान में यूपीसीए की महाप्रबंधक हैं, जो कि न्यायसंगत नहीं है और पूर्णतया ग़लत है । एक आजीवन सदस्य जिसे यूपीसीए में वोट देने का अधिकार है उसी संस्था में वेतनभोगी महाप्रबंधक के पद पर नौकरी करना, यूपीसीए के नियम संख्या 38 का सरासर उल्लंघन है।पूर्व सदस्य उनको तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग सभी अधिकारियों से करेंगी जिससे संघ में सब कुछ सही दिशा में आगे बढे ।
यूपीसीए के एक कार्यकारिणी पदाधिकारी ने उनकी कार्यशैली के साथ ही उनकी संघ में नियुक्ति पर ही सवाल खडे कर उन्होंने न छापने की शर्त पर बताया कि महाप्रबन्धक पहले से ही बीसीसीआई और यूपीसीए से खिलाडियों को मिलने वाली पेंशन का लाभ उठा रहीं है तो उन्हे संघ से सैलरी नही दी जानी चाहिए। संघ के पदाधिकारियों को इस बात पर अगली बैठक जो 10 दिसम्बर को प्रस्तावित है उस पर विचार करने के लिए प्रस्ताव लाया जाएगा।

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