संवाददाता।
कानपुर। नगर के किसान बाबू सिंह आत्महत्या कांड के मुख्य आरोपी और 1 लाख का इनामी भाजपा नेता आशु दिवाकर पुलिस अफसरों के संपर्क में है। यह बात उसने हाईकोर्ट में दाखिल शपथ-पत्र में कही। इसमें उसने कहा है कि पुलिस अफसर और थानेदार वॉट्सऐप कॉल पर बात होती है। 2-2 घंटे तक मीटिंग चलती है। इसके अलावा उसने सबूत के तौर पर वॉट्सऐप कॉल डिटेल का स्क्रीनशॉट भी दिया है। इसके साथ ही उसने कहा है कि वह जांच में हर तरह से सहयोग कर रहा था और कहीं भागने वाला नहीं था। मगर, पुलिस ने जल्दबाजी में कोर्ट से एनबीडब्ल्यू ले लिया। कोर्ट में सब्मिट किए सबूतों के आधार पर इस तरह की कार्रवाई का कोई ठोस कारण नहीं था। इसलिए एनबीडब्ल्यू को खारिज किया जाए। बीजेपी ने भले ही आशु दिवाकर को पार्टी से बेदखल कर दिया है। इसके बाद भी वह अपने रसूख के चलते 83 दिन से फरार है। बीजेपी नेता के दावे के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि पुलिस ने उसे बचने का हर मौका दिया। यही नहीं, कोर्ट में भी लचर पैरवी की। जिसके चलते आशु को अग्रिम जमानत भी मिल सकती है। आशु के वकील ने 29 सितंबर को कोर्ट में दावा किया है कि घटना के बारे में पता चलने के बाद आशु एसीपी चकेरी अमरनाथ यादव के आवास पर गया था। वहां उसने एसीपी के साथ सुबह 8 से 9 बजे तक मीटिंग की थी। एसीपी आवास के पास ही आशु दिवाकर का भी घर है। इसके बाद शाम 06:54 बजे आशु ने एसीपी चकेरी के मोबाइल कॉल किया। फिर एसीपी ने रात 10.32 बजे आशु दिवाकर को कॉल बैक किया। इतना ही नहीं, घटना के अगले दिन 10 सितंबर 2023 को दोपहर 03.32 बजे आशु ने एसीपी चकेरी को कॉल किया। इसके जवाब में दोपहर 03.32 बजे एसीपी चकेरी ने खुद करके आशु से बात की। वकील ने कोर्ट में दावा किया है कि फोन के अलावा आशु ने कई राउंड एसीपी से सामान्य और वॉट्सऐप कॉल पर बात की है। आशु ने इस दौरान चकेरी थाना प्रभारी अशोक कुमार दुबे को केस से संबंधित दस्तावेज भी दिया था। 13 सितंबर 23 को भी चकेरी थाना प्रभारी और एसीपी लगातार आशु संपर्क में थे। आशु दिवाकर ने दावा किया है कि जब पुलिस उसे जांच में सहयोग नहीं करने का दावा करते हुए कोर्ट से एनबीडब्ल्यू वारंट हासिल किया था, तो वह पुलिस के संपर्क में था। मामले की जांच कर रहे चकेरी थाना प्रभारी से 13 और 15 सितंबर को भी कई राउंड कॉल पर बात हुई। इतना ही नहीं, आशु ने किदवई नगर निवासी अपने मित्र अमित चौहान के दफ्तर में शाम 6 से 7 बजे तक विवेचक के साथ बैठक की थी। इसके अलावा आशु दिवाकर ने सबूत के तौर पर वॉट्सऐप कॉल डिटेल का स्क्रीनशॉट और मिटिंग वाली जगह का जिक्र शपथ पत्र में किया है। आशु ने कहा है कि रिकॉर्ड पर लाए गए तथ्यों से यह स्पष्ट है कि मैं पुलिस के संपर्क में था। जांच में हर तरीके से सहयोग कर रहा था। इसके बाद भी पुलिस को ऐसी भी क्या जल्दी थी कि एनबीडब्ल्यू ले लिया? इस वजह से 15 सितंबर को जारी एनबीडब्ल्यू को खारिज किया जाए। कानपुर चकेरी गांव में रहने वाले किसान बाबू सिंह ने 9 सितंबर को ट्रेन के आगे कूदकर सुसाइड कर लिया था। जांच में सामने आया था कि भाजपा नेता आशु दिवाकर उर्फ प्रियरंजन ने अपने गैंग के साथ किसान की करोड़ों की जमीन हड़प ली और एक रुपया भी नहीं दिया। किसान सुसाइड केस के 83 दिन पूरे हो गए। तभी से आशु दिवाकर फरार चल रहा है। इसके बाद 13 अक्टूबर को ही आशु पर एक लाख रुपए के इनाम की घोषणा की गई थी। इसके अलावा 21 अक्टूबर को धारा 82 की कार्रवाई करते हुए उसे फरार घोषित कर दिया गया था। इस मामले में कोर्ट की तरफ से आशु दिवाकर के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने के निर्देश दिया है, जो 5 दिसंबर यानी अगली तिथि तक जारी रहेंगे। कोर्ट ने इस काउंटर शपथ पत्र का जवाब अभियोजन से मांगा है