संवाददाता।
कानपुर। गलियों में लगी स्ट्रीट लाइटों के जरिए रोशन करने में कानपुर जिला पिछड़ गया है। जिले की 590 ग्राम पंचायतों में से सिर्फ 100 से अधिक में ही लाइटें जल रही हैं। शेष अभी तक खराब पड़ी हैं। जिस कारण जिले की रैंक 65वीं आई है। वहीं मुजफ्फरनगर प्रदेश में सबसे आगे है। मुजफ्फरनगर की 498 में 496 ग्राम पंचायतें स्ट्रीट लाइट से रोशनी हो रही हैं। 479 में से 439 ग्राम पंचायतों में स्ट्रीट लाइट लगाकर मेरठ दूसरे स्थान है। बरेली मंडल का पीलीभीत 303 ग्राम पंचायतों में स्ट्रीट लाइट लगाकर 10वें स्थान पर है। जबकि बरेली 1193 ग्राम पंचायतों में से सिर्फ 654 में 23,610 स्ट्रीट लाइटें लगवा कर प्रदेश में 32वें स्थान पर है। एक दिन पहले कृषि उत्पादन आयुक्त ने गांवों में लगाई गई स्ट्रीट लाइट योजना की समीक्षा की है। जिसके बाद जिलों की रैंकिंग जारी की गई थी। दो वर्ष पहले जिला पंचायत कार्यालय से 14 हजार स्ट्रीट लाइट, 294 हाईमास्ट लाइटें लगवाई गई थीं। जो तीन माह बाद ही खराब होना शुरू हो गई थीं। लगभग आधे से ज्यादा लाइटें खराब हो गईं। पंचायत कार्यालय ने वर्ष 2021 में 15वें वित्त से 7.86 करोड़ रुपए से स्ट्रीट, हाईमास्ट लाइटें लगाई थीं। खराब लाइटों की शिकायत कई बार जिला पंचायत सदस्यों ने जिला प्रशासन से की थी। जिसके बाद जांच शुरू हुई, लेकिन आज तक पूरी नहीं हो सकी है। चौबेपुर, बिल्हौर क्षेत्र में लगीं लगभग सभी स्ट्रीट लाइट एक वर्ष में ही खराब हो गईं। उन्हें सही कराने वाला अब कोई नहीं है।