संवाददाता।
कानपुर। चकेरी गांव के किसान बाबू सिंह आत्महत्या कांड में मुख्य आरोपित निष्कासित भाजपा नेता आशु दिवाकर उर्फ प्रिय रंजन के खिलाफ चकेरी थाने में कोर्ट की अवमानना की एक और रिपोर्ट दर्ज हुई है। आशु दिवाकर ढाई महीने से फरार चल रहा और कानपुर पुलिस उसका सुराग नहीं लगा पा रही है। पुलिस की लचर पैरवी का ही नतीजा है कि अरेस्ट हुए आरोपी राहुल जैन को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। चकेरी गांव में रहने वाले किसान बाबू सिंह ने 9 सितंबर को ट्रेन के आगे लेटकर सुसाइड कर लिया था। चकेरी थाना पुलिस की जांच में सामने आया था कि मुख्य आरोपी आशु दिवाकर उर्फ प्रियरंजन ने धोखाधड़ी करके करोड़ों की जमीन हड़प ली। इसके चलते किसान ने सुसाइड कर लिया और उसका पूरा परिवार सड़क पर आ गया है। मामले में किसान की पत्नी बिटान की तहरीर पर आशु दिवाकर, किसान के भतीजे जितेंद्र, बबलू यादव, राहुल जैन, मधुर पांडेय और शिवम सिंह के खिलाफ चकेरी थाने में धोखाधड़ी समेत अन्य गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। राहुल जैन व मधुर पांडेय को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। जबकि अन्य के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई चल रही है और सीआरपीसी की धारा 82 के तहत इनके घरों पर कुर्की का नोटिस चस्पा हो चुका है। डाक्टर प्रिय रंजन के यहां 21 अक्टूबर को नोटिस चस्पा की गई थी, मगर वह अदालत के सामने हाजिर नहीं हुआ। चकेरी इंस्पेक्टर अशोक कुमार दुबे ने बताया कि डॉक्टर प्रिय रंजन के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा दर्ज करा दिया गया। वहीं राहुल जैन को बुधवार को जेल से रिहा कर दिया गया। कुछ आपत्तियों के चलते रिहाई परवाना मंगलवार को जारी नहीं हो सका था। मामले में पीड़ित परिवार ने कानपुर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि पुलिस की लचर पैरवी के चलते मुख्य आरोपी अभी तक अरेस्ट नहीं हुआ है। यही वजह है कि जेल में बंद आरोपी को हाईकोर्ट से जमानत भी मिल गई। भाजपा नेता होने के चलते मामले में पुलिस कड़ी कार्रवाई से बच रही है। ढाई महीने बाद भी मुख्य आरोपी समेत अन्य फरार हैं।