संवाददाता।
कानपुर। दिल्ली सरकार आईआईटी कानपुर से मिले प्रस्ताव को आज सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेगी। कोर्ट को बताएगी कि प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश के विकल्प पर आगे बढ़ना चाहते हैं। इसको लेकर दिल्ली की सरकार ने बुधवार को आईआईटी कानपुर के प्रो. मणिंद्र अग्रवाल से विस्तृत रूप से प्रस्ताव भी मांगा। संस्थान की ओर से पूरा प्रस्ताव दिल्ली सरकार को दे दिया गया है। अगर सुप्रीम कोर्ट हरी झंडी देता है तो दिल्ली सरकार केंद्र सरकार के साथ मिलकर परमिशन लेने की प्रक्रिया शुरू करेगी। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और वित्त मंत्री आतिशी ने आईआईटी कानपुर की टीम के साथ बुधवार को एक बैठक की। इस बैठक में कृत्रिम बारिश का पहला पायलट करने के लिए गुरुवार को विस्तृत प्रस्ताव रखा जाएगा। काफी कुछ चीजें सरकार को उपलब्ध कराई जा चुकी है। कुछ चीजें अभी गुरुवार को दी जाएगी। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के मुताबिक ”आईआईटी कानपुर की टीम ने कहा है कि कृत्रिम बारिश करवाने के लिए कम से कम 40% बादल चाहिए। 20 और 21 नवंबर को बादल बनने की संभावना दिख रही है। उनका कहना है कि अगर हमें उससे पहले इजाजत मिल जाए तो हम पहला पायलट कर सकते हैं।” गोपाल राय ने कहा कि ”शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है तो हम सुप्रीम कोर्ट में भी इस प्रस्ताव को रखेंगे कि कृत्रिम बारिश की ऐसी संभावना है और अदालत इस पर विचार करे। अगर सुप्रीम कोर्ट का आदेश होता है तो हम केंद्र सरकार के साथ मिलकर परमिशन लेने की प्रक्रिया शुरू करे देंगे। प्रो. मणिंद्र अग्रवाल के मुताबिक कृत्रिम वर्षा कराने के लिए कई केमिकल का नैनो मिश्रण इस्तेमाल करना पड़ता है। बारिश कराने के लिए सिल्वर आयोडाइड, सामान्य नमक जैसे कई और भी नैनो मिश्रण का प्रयोग कर एक पाउडर नुमा चीज तैयार की जाती है। इसके बाद जब हल्के बादल होते हैं तो विशेष प्लेन के माध्यम से बादलों के बीच में जाकर उस केमिकल का छिड़काव हवा में किया जाता है।