October 19, 2024

संवाददाता।

कानपुर। नगर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय मुख्य संरक्षक, उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से दिए गए निर्देशों के अनुपालन में विधिक सेवा दिवस का आयोजन करा गया। जिसमे सैकड़ो की संख्या में लोग भागीदार रहे, उक्त कार्यक्रम में अधिकारियों और कर्मचारियों में उत्साह देखने को मिला। कार्यक्रम में हर चीज़ को व्यवस्थित ढंग से रखा गया, कार्यक्रम में समय का ध्यान रखा गया।हर कार्य को समयानुसार गुडवतापूर्ण तरीके से संपन्न कराया गया। जिला जज प्रदीप कुमार सिंह-II के दिशा निर्देशों और मार्गदर्शन के चलते आयोजन सम्पन्न हुआ। जिला जज ने बताया कि विधिक सेवाओ के अंतर्गत समस्त न्यायालयों / प्राधिकरणों / अधिकरणों / आयोग के समक्ष विचारीधीन मामलों में विधिक सेवायें उपलब्ध करायी जाती हैं। गरीब तथा आम व्यक्तियों ‘लिये न्याय शुल्क सहित अधिवक्ता की फीस एवं अन्य सभी आवश्यक प्राधिकरणों द्वारा वहन किये जाते हैं। विधिक अधिकारों एवं सेवाओं की जागरुकता के लिये विधिक जागरुकता शिविरों का आयोजन किया जाता है। मोटर दुर्घटना प्रतिकर वादों में पीड़ित व्यक्तियों को शीघ्र मुआवजा दिलाये जाने हेतु निरन्तर प्रयास किये जाते हैं। अन्य सभी प्रकार के वादों में सुलह समझौता द्वारा शीघ्र न्याय दिलाया जाता है। उन्होंने बताया कि निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने के लिये अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्य, अनैतिक अत्याचार के शिकार लोग या ऐसे लोग जिनसे बेगार करायी जाती है, महिलायें एवं बच्चे, मानसिक रोगी एवं विकलांग अनपेक्षित आभाव जैसे- जाति हिंसा, बाढ़, सूखा, भुकम्प या अद्यौगिक विनाश की दशाओं के अधीन सताये हुये व्यक्ति या शहीद सैनिकों के आश्रित अद्यौगिक श्रमिक, कारागृह, किशोर, मनोचिक्तसय, अस्पताल या अभिरक्षा में रखे गये व्यक्ति या ऐसे सभी व्यक्ति जिनको वार्षिक आय 03 लाख रुपये से कम है। आदि लोग पात्र है। उन्होंने बताया कि लोक अदालत विवादों को समझौते के माध्यम से सुलझाने के लिये एक वैकल्पिक मंच है। सभी प्रकार के सिविल वाद व ऐसे अपराधों को छोड़कर जिनमें समझौता वर्जित है, सभी आपराधिक मामले भी लोक अदालत द्वारा निपटाये जाते हैं। लोक अदालत के फैसलों को अदालत का फैसला माना जाता है जिसे कोर्ट की डिक्री की तरह सभी पक्षों पर अनिवार्य रूप से बाध्य होते हुये लागु कराया जाता है। लोक अदालत के फैसले के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है।लोक अदालत में समझौते के माध्यम से निस्तारित मामले में अदा की गयी कोर्ट फीस लौटा दी जाती है। प्रदेश के सभी जिलों में स्थायी लोक अदालत की स्थापना की जा चुकी है और वादकारियों को अपने विवादों को लोक अदालत के माध्यम से सुलझाने के लिये उस अदालत में प्रार्थना पत्र देने का अधिकार प्राप्त है। अभी जो विवाद न्यायालय के समक्ष नहीं आये हैं उन्हें भी प्री-लिटिगेशन स्तर पर बिना मुकदमा दायर किये भी पक्षकारों का सहमति से प्रार्थना पत्र देकर लोक अदालत में फैसला कराया जाता है। शुभी  गुप्ता सचिव विधिक प्राधिकरण ने बताया कि वैवाहिक विवादों का प्री-लिटिगेशन स्तर पर समाधान, महिलाओं के हित संरक्षण हेतु कानून की जानकारी, अपराध पीड़ितों हेतु क्षतिपूर्ति योजना, पात्र लोगों को निःशुल्क अधिवक्ता, प्रत्येक तहसील में विधिक जागरुकता हेतु पराविधिक स्वयं सेवकों की नियुक्ति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर द्वारा प्रदान की जाने वाली विधिक सहायता है। नगर के मुख्यालय, तहसील, ब्लाक, विद्यालयों एवं विधि विद्यालयों के स्तर पर विधिक जागरूकता एवं साक्षरता शिवरों का आयोजन किया गया। जनपद न्यायाधीश ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के श्रेष्ठ पीएलवी डॉ रिजवान अली खान, कु० प्रभा पाण्डेय व श्रेष्ठ पैनल अधिवक्ता राजेंद्र त्रिपाठी, अमिताभ सिंह चौहान एवं श्रेष्ठ लीगल एड क्लीनिक अटल बिहारी वाजपेई स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज, बी.एन.डी. लॉ कॉलेज, वीएसएसडी लॉ कॉलेज के विभागाध्यक्ष क्रमश: डॉ शशिकांत त्रिपाठी, डॉ वी.एस. त्रिपाठी, प्रोफेसर ए.बी. जायसवाल को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन शुभी गुप्ता अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने किया। उक्त कार्यक्रम में जनपद न्यायालय के न्यायाधीश गण एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की डाटा इंट्री ऑपरेटर आरती शर्मा,  जूनियर अस्सिटेंट राजकुमार यादव व स्टाफ निहाल दीक्षित, पवन कुमार उपस्थित रहे।

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